
देवघर रोपवे हादसे के बाद, केंद्रीय गृह सचिव ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को एडवाइजरी जारी की है. इसमें उन्होंने सभी राज्यों से कहा कि रोपवे के लिए एक एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) और आकस्मिक योजना बननी चाहिए. भारतीय मानक ब्यूरो के तहत, रोपवे के लिए पहले से तय किए गए संचालन और रखरखाव के मानकों का पालन किया जाना चाहिए. हर रोपवे की सुरक्षा व ऑडिट करने के लिए, अनुभव और योग्य फर्मों को काम पर रखा जाना चाहिए. मेनटेनेंस मैनुअल बनाए जाने चाहिए. बता दें कि त्रिकूट रोपवे की घटना को लेकर, दिल्ली में गृह मंत्रालय ने हाई लेवल मीटिंग की थी.
46 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन
झारखंड के देवघर में त्रिकूट पर्वत पर रोपवे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाया गया रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है. 46 घंटे की जद्दोजहद के बाद, हवा में अटके लोगों को बचा लिया गया है. इस हादसे में तीन लोगों की मौत हुई है. हादसे में 10 ट्रालियां हवा में अटक गई थीं, जिसमें 48 लोग सवार थे. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन ने रेस्क्यू अभियान चलाया था.
कैसे हुआ हादसा
झारखंड पर्यटन विभाग के निदेशक राहुल सिन्हा ने कहा कि 10 अप्रैल को रोपवे का एक्सल उतर गया था, जिस वजह से रोप-वे बीच में ही रुक गई थी. रामनवमी पर यहां पूजा करने और घूमने के लिए सैकड़ों की संख्या में पर्यटक पहुंचे थे. रोपवे की एक ट्रॉली नीचे आ रही थी, जो ऊपर जा रही ट्रॉली से टकरा गई. रोपवे की तीन ट्रॉली के डिस्प्लेस होने और आपस में टकराने की वजह से, ऊपर की ट्रॉलियां भी हिलने लगीं. इस वजह से वो भी पत्थरों में जाकर टकरा गए, जिस वजह से हादसा हुआ. इधर घायलों को इलाज के लिए देवघर सदर अस्पताल भेज दिया गया है.
कोर्ट ने लिया हादसे पर संज्ञान
देवघर रोपवे की घटना पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं. झारखंड हाई कोर्ट इस मामले में 26 अप्रैल को सुनवाई करेगा. इससे पहले राज्य को एक हलफनामे के जरिए, विस्तृत जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है.
रोप-वे प्रॉजेक्ट में थी खामियां
2009 में गठित तकनीकी टीम ने, रोपवे परियोजना पर सवाल उठाए थे. टीम ने जांच में पाया था कि ऊपरी हिस्से में खड़ी चढ़ाई है, जहां केबल कार में कंपन ज्यादा होता है. इससे ट्रॉली असंतुलित हो जाती है. रोपवे का तनाव भी 800 मीटर के दायरे की अधिकतम ऊंचाई पर सामान्य से अधिक हो जाता है. ऊपर जाने के बाद ट्रॉली कंपन करने लगती है, लेकिन इन सब बातों को नजर अंदाज कर दिया गया.