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AIIMS का करिश्मा: पहली बार जुड़े हुए बच्चों का दिमाग किया अलग

डॉक्टरों की टीम ने करीब दो महीने पूर्व इस केस को अपने हाथ में लिया और बुधवार को इस सर्जरी को सफलता पूर्वक कर लिया गया. बुधवार को एम्स में डॉक्टरों की टीम ने 16 घंटे तक ऑपरेशन कर दोनों के दिमाग को अलग किया.

जुड़वा बच्चों के दिमाग को अलग करने की सफल सर्जरी जुड़वा बच्चों के दिमाग को अलग करने की सफल सर्जरी
कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह/शुभम गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 26 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 8:56 AM IST

दिल्ली के एम्स में पहली बार दो जुड़वा बच्चों के दिमाग को अलग करने की सफल सर्जरी हुई है. उड़ीसा के रहने वाले दो जुड़वा बच्चे जग्गा और कालिया (उम्र ढाई साल) के दिमाग आपस में जुड़े हुए थे. एम्स में डॉक्टरों की टीम ने उनके जुड़े हुए दिमाग अलग कर दिए हैं. एम्स के निर्देशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि उड़ीसा के दो बच्चे हैं जिनका दिमाग आपस में जुड़ा हुआ था. जिसका ऑपरेशन हमारी 40 डॉक्टरों की टीम ने किया. ये ऑपरेशन 16 घंटे तक चला. हमारे लिए ये बहुत मुश्किल था. क्योंकि ये पहली बार था जब एम्स में इस तरह का ऑपरेशन किया गया.

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उनकी दोनो सर में एक ही नस थी, पहले उनके सर में दूसरी नस लगाई गई. ब्लड की कमी थी उसे दूर किया गया. अब ऐसे केस में 90 फीसदी चांस कम होता है बचने का. मगर हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि बच्चे स्वस्थ हों. फिलहाल वो आईसीयू में हैं और आने वाले 3 हफ्ते बहुत मुश्किल होने वाले हैं.

16 घंटे लगातार चला ऑपरेशन

डॉक्टरों की टीम ने करीब दो महीने पूर्व इस केस को अपने हाथ में लिया और बुधवार को इस सर्जरी को सफलता पूर्वक कर लिया गया. बुधवार को एम्स में डॉक्टरों की टीम ने 16 घंटे तक ऑपरेशन कर दोनों के दिमाग को अलग किया. अभी दोनों बच्चे वेंटिलेटर पर हैं. इस ऑपरेशन में 20 सर्जन डॉक्टर थे. पूरी टीम 40 डॉक्टरों की थी. इस ऑपरेशन को प्रोफेसर एके महापत्रा ने लीड किया. फिलहाल बच्चे आईसीयू में हैं. डॉक्टर का कहना है कि 25 लाख बच्चों में 1 केस इस तरह का होता है. हमारे लिए ये बहुत चैलेंजिंग था. मगर हमारी पूरी टीम ने इस काम को सही ढंग से किया. फिलहाल बच्चों को आईसीयू में भर्ती किया गया है और आने वाले दो तीन सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण होंगे. डॉक्टर उम्मीद कर रहे हैं साथ ही पूरी कोशिश कर रहे हैं कि बच्चे स्वस्थ ही घर लौटें.

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क्या कठिनाई आई इस सर्जरी में

चूंकि ये बहुत बड़ा ऑपरेशन था. एम्स में इससे पहले ऐसा कोई ऑपरेशन नहीं हुआ था. लिहाजा सबसे पहले 20 सर्जन डॉक्टर की एक टीम बनाई गई. कुल तीन सबसे बड़ी कठिनाई टीम के सामने आई.

1. डॉक्टर ने पाया कि दोनों के दिमाग में एक ही नस थी लिहाजा सबसे पहले दूसरी नस लगाई गई.

2. उसके बाद यह परेशानी आई कि उनकी चमड़ी नहीं थी. इसीलिए चमड़ी तैयार की गई ताकि जब दो सर अलग हों तो दोनो के सर में चमड़ी रहे.

3. बच्चों में खून की कमी थी. पहले उन्हें खून दिया गया और उनकी सेहत में सुधार लाया गया ताकि उनका ऑपरेशन हो सके.

इस ऑपरेशन में कई तरह के एक्स्पर्ट्स थे शामिल

न्यूरोसर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरो ऐनस्थीजा, कार्डिएक ऐनस्थीजा, कार्डिएक सर्जरी, न्यूरो रेडियोलॉजी, बैक्टीरियोलॉजी. इन सभी विभाग के एक्स्पर्ट्स इस ऑपरेशन में मौजूद थे. ये एक टीम वर्क था.

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