
दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रदूषण के मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब में सरकारी निष्क्रियता और फसल काटने के बाद खेतों में ठूठ जलाने के चलन पर चिंता जताई है. हाई कोर्ट ने कहा कि ये दिल्ली के दो करोड़ लोगों की जिंदगी के करीब तीन साल कम करने के लिए दोषी है और ये किसी नरसंहार और हत्या के बराबर है. इस गंभीर हालात से सिर्फ दिल्ली में ही छह करोड़ से ज्यादा जीवन वर्ष बर्बाद हो रहे हैं या यूं कहें तो इससे दस लाख मौतें होती हैं.
10 लाख मौतों के बराबद है ये
हाई कोर्ट ने राजनेताओं पर तंज कसते हुए सवाल उठाया कि क्या वोट देने वालों की जिंदगी से ज्यादा जरूरी सिर्फ उनके वोट होते हैं? हाई कोर्ट ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली जैसे किसी शहर में वायु प्रदूषण आपकी जिंदगी के तीन साल कम कर रहा है. दिल्ली में दो करोड़ से ज्यादा की आबादी है. इसलिए छह करोड़ जीवन वर्ष बर्बाद और खत्म हो रहे हैं. ये दस लाख मौतों के बराबर हैं. अगर यह हत्या नहीं है, तो क्या ये नरसंहार है?
दिल्ली की वायु गुणवत्ता है सबसे खराब
हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकारी निष्क्रियता जिंदगी कम करने के लिए दोषी है. कोर्ट ने कहा कि अलग अलग खबरों के मुताबिक दिल्ली को वायु गुणवत्ता के मामले में भारत में सबसे खराब शहर बताया गया है. खराब गुणवत्ता वाली हवा न केवल लोगों को मारती है बल्कि सांस संबंधी बीमारियों को भी बढ़ाती है. एक रिसर्च के मुताबिक करीब 10 हजार से ऊपर लोग हर साल सांस की बीमारी के चलते दिल्ली में अपनी जान गंवाने को मजबूर है.