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दिल्ली में सोमवार की सुबह वायु गुणवत्ता 'खराब' श्रेणी में दर्ज की गई. पड़ोसी राज्यों में एक दिन में 1230 जगह पराली जलाने की घटनाओं के कारण हवा की गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई है. दिल्ली में 24 घंटे के दौरान औसत गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 240 दर्ज किया गया. इससे पहले रविवार को दिल्ली में AQI का स्तर 254 दर्ज किया गया था. इस सीजन में 15 अक्टूबर को AQI का स्तर सबसे ज्यादा 315 दर्ज हुआ जो इस वर्ष 12 फरवरी के बाद से सबसे ज्यादा खराब है.
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच को 'गंभीर' माना जाता है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में सोमवार को आईटीओ क्षेत्र में पीएम 10 का स्तर 240 और पीएम 2.5 का स्तर 184 रिकॉर्ड किया गया.
दिल्ली में कई इलाकों में खराब हवा के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दिन के वक्त उत्तरपश्चिमी हवाएं चल रही हैं और पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषक तत्वों को अपने साथ ला रही हैं.
रात में हवा के स्थिर होने तथा तापमान घटने की वजह से प्रदूषक तत्व जमा हो जाते हैं. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ‘वायु गुणवत्ता निगरानी एवं मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’ (सफर) के मुताबिक हरियाणा, पंजाब और नजदीकी सीमा पर स्थित क्षेत्रों में पराली जलाने की 1230 घटनाएं हुईं, जो इस मौसम में एक दिन में सर्वाधिक है. साथ ही यह भी कहा गया कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर पराली जलाने का प्रभाव सोमवार रात तक 'काफी बढ़ सकता है.'
विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से कोरोना वायरस के फैलने का खतरा बढ़ सकता है, जिससे लोग इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. कोविड-19 की स्थिति और गंभीर हो सकती है. डॉक्टरों के अनुसार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से वायरल इन्फ्लूएंजा जैसी सांस की बीमारियां बढ़ जाती हैं और खराब वायु गुणवत्ता के कारण फेफड़ों में सूजन आ जाती है और इससे वायरस से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक AIIMS में मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने कहा, 'यह परीक्षण केन्द्रों के लिए ऐसा समय होगा जब उन्हें एक जैसे लक्षणों के साथ कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों और गैर कोविड रोगियों की आवश्यकताओं का ध्यान रखना होगा.'
'एक दिन में खत्म नहीं होगी प्रदूषण की समस्या'
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कहा कि प्रदूषण की समस्या को एक दिन में हल नहीं किया जा सकता है और प्रदूषण फैलाने वाले हर कारक से निपटने के लिए लगातार प्रयास की जरूरत है.
केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि भारत में वायु प्रदूषण के पीछे प्रमुख कारक यातायात, उद्योग, अपशिष्ट, धूल, पराली, भूगोल एवं मौसमी दशाएं हैं. इस समस्या को खत्म करने के लिए लगातार प्रयास की जरूरत है. जावड़ेकर ने ई-वाहनों पर जोर देते हुए कहा कि... 'मैं खुद ई-वाहन का इस्तेमाल करता हूं. मैं इसे अपने घर पर चार्ज करता हूं. मैं ई-स्कूटी भी चलाता हूं.' उन्होंने कहा कि इससे वाहनों के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है.