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Delhi Pollution: हजार किलोमीटर दूर Cyclone ने दिवाली के प्रदूषण से कैसे दी राहत? दिल्ली की हवा हुई साफ

Delhi Air Quality Updates: दिवाली पर जब हर साल राष्ट्रीय राजधानी पटाखों और पराली के प्रदूषण के डेडली कॉकटेल से जूझती है तो वहीं, इस बार दिवाली से दूसरे दिन ही दिल्ली की हवा साफ हो गई है. दरअसल, मौसम के अद्भुत संयोग से हवा की दिशा दिवाली के समय ही बदल गई और पटाखों के प्रदूषण में फसल से जलने वाले धुएं का मिक्सचर नहीं बन पाया.

Delhi Pollution and AQI Latest Updates (File Photo) Delhi Pollution and AQI Latest Updates (File Photo)
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 26 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:58 AM IST

Delhi Pollution and Air Quality Updates: सर्दियों की शुरुआत होने के साथ ही पराली समेत कई प्रदूषण के कारक देश की राजधानी दिल्ली में एक साथ घर कर जाते हैं और हवा सांस लेने लायक नहीं रहती. प्रदूषण के लिहाज से दिवाली सबसे ज्यादा मुश्किल वक्त होता है. पटाखों का धुआं और आतिशबाजी दिल्ली की हवा में जहर घोलते हैं. इस साल भी दिल्लीवालों ने पटाखों पर बैन के बावजूद जमकर आतिशबाजी की. शाम से लेकर देर रात तक खूब पटाखे फोड़े गए जिससे प्रदूषण का स्तर कहीं ऊंचाई पर पहुंचा लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ जो सुबह और फिर दोपहर होते-होते दिल्ली का मौसम बिल्कुल साफ हो गया.

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मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो कई सारे मौसमी फैक्टर के एक साथ आने के अद्भुत संयोग से दिल्ली की हवा में घुला पटाखों का धुंआ हटना संभव हुआ. यहां तक की कई हजार किलोमीटर दूर मेघालय और बांग्लादेश में जो साइक्लोन बना उसने भी दिल्ली की हवा को साफ करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है.

कैसे चक्रवात SI-Tarang ने बदल दी दिल्ली की प्रदूषित आबोहवा?

ठीक दिवाली के वक्त बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना. उसकी वजह से नॉर्थ ईस्ट में मेघालय और बांग्लादेश के कई हिस्सों में बारिश हुई लेकिन आप यह जानकर चौक जाएंगे कि उसी चक्रवात ने दिल्ली को प्रदूषण से राहत देने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर एक चक्रवातीय सिस्टम उसी एलटीट्यूड यानी समंदर से ऊंचाई पर विकसित होता है जहां पर प्रदूषण के कारक मौजूद हों तो वह एक अलग तरह का सिस्टम पैदा कर देता है. जैसे मेघालय की राजधानी शिलांग और दिल्ली लगभग एक ही एल्टीट्यूड पर स्थित है.

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भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिक आरके जीणामणि बताते हैं, "चक्रवात की वजह से एक एंटीसाइक्लोनिक सिस्टम दिल्ली के ऊपरी वातावरण या वायुमंडल में पैदा हुआ. जिसकी वजह से पछुआ हवाएं चलने लगीं. जिसकी रफ्तार भी इस समय सामान्य हवा की रफ्तार से कही अधिक थी, जो 20 किलोमीटर प्रति घंटा तक रही. दिवाली के वक्त दिल्ली के ऊपर गैस और हवाओं का मिक्सिंग हाइट भी ऊंचा था तो इस सिस्टम ने पूरे प्रदूषण को खींच लिया."

दरअसल, पिछले लगभग 20 सालों में दिवाली की अगली दोपहर को विजिबिलिटी कभी भी 4000 मीटर तक नहीं गई थी लेकिन इस सिस्टम ने हवा को इतना साफ बना दिया कि सूरज तो चमक ही रहा था विजिबिलिटी भी काफी बेहतर रही.

हवा के रुख ने पराली के प्रदूषण को भी दिल्ली से रखा दूर 

अब इसे कहते हैं सोने पर सुहागा...आमतौर पर दिवाली के वक्त पराली का प्रदूषण दिल्ली की आबोहवा में जहर घोलता है. क्योंकि इसकी दिशा नॉर्थवेस्ट यानी उत्तर पश्चिम से होती है, यानी पंजाब का प्रदूषण सीधे दिल्ली तक पहुंच जाता है. लेकिन सफर के साइंटिस्ट बताते हैं कि अचानक ही दीवाली से ठीक पहले हवा का रुख नॉर्थवेस्ट की बजाय साउथवेस्ट यानी दक्षिण पश्चिमी हो गया. इस सहयोग की वजह से पंजाब और हरियाणा से आने वाली हवाएं दिल्ली की तरफ नहीं बल्कि उल्टी दिशा में बहने लगी.

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यही वजह रही कि जब पटाखों और पराली के प्रदूषण के डेडली कॉकटेल से दिल्ली हर साल जूझती है, उसमें पराली का कंट्रीब्यूशन कहीं कम रहा. इससे भी मौसम का अद्भुत संयोग ही कहेंगे कि हवा की दिशा दिवाली के समय ही बदल गई और पटाखों के प्रदूषण में फसल से जलने वाले धुएं का मिक्सचर नहीं बन पाया.

अक्टूबर की दिवाली और सामान्य से अधिक तापमान

अब यह भी एक संयोग रहा कि आमतौर पर दिवाली जो नवंबर के महीने में आती है, वह इस साल अक्टूबर के महीने में ही आ गई. पहले ही इस साल दशहरे के बाद हुई बारिश ने दिल्ली के प्रदूषण को कम किया था. साथ ही संयोग यह बना कि दिवाली के दिन और रात में तापमान उतना कम नहीं हुआ जितना प्रदूषण को दिल्ली के भीतर जमा रखने के लिए जरूरी होता है.

हवा की मिक्सिंग हाइट और वेंटिलेशन इंडेक्स भी काफी ऊपर था, यानी दिल्ली के लोग जब बैन की परवाह किए बिना पटाखे जला रहे थे तो उससे निकलने वाला प्रदूषण जमीन के करीब नहीं बल्कि काफी ऊंचाई पर मिक्स हो रहा था. तो कुल मिलाकर जितनी तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा था उतनी ही तेजी से प्रदूषण साफ भी होता जा रहा था. तभी दिवाली की रात को प्रदूषण का असर 8 बजे शाम से लेकर 1 बजे रात तक देखने को मिला क्योंकि तभी पटाखे जलाए जा रहे थे.

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कुल मिलाकर बात करें तो इस साल मौसम ने कई सारे अद्भुत संयोग दिल्ली की हवा को साफ बना रहे थे, इसलिए दिवाली के अगले दिन ही लोगों को प्रदूषण से राहत मिल गई. 

 

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