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1100 से ज्यादा किस्म के पकवानों का अनूठा अन्नकूट अक्षरधाम में

स्वामी नारायण अक्षरधाम में अन्नकूट के अनोखे दर्शन होते हैं. मंदिर के तमाम गलियारे और गर्भगृह में पकवानों, फलों, शर्बतों और चाट पकौड़ों के थाल, प्लेट और दोने ऐसे करीने से सजाए जाते हैं कि भगवान और भक्तों की आत्मा तक तृप्त हो जाती है.

स्वामी नारायण अक्षरधाम में अन्नकूट स्वामी नारायण अक्षरधाम में अन्नकूट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST

स्वामी नारायण अक्षरधाम में अन्नकूट के अनोखे दर्शन होते हैं. मंदिर के तमाम गलियारे और गर्भगृह में पकवानों, फलों, शर्बतों और चाट पकौड़ों के थाल, प्लेट और दोने ऐसे करीने से सजाए जाते हैं कि भगवान और भक्तों की आत्मा तक तृप्त हो जाती है.

साल में एक बार होने वाले इस उत्सव का इंतजार श्रद्धालुओं को शिद्दत से रहता है. 1100 से अधिक भांति के सुस्वाद खाद्य पदार्थ यहां भगवान स्वामी नारायण को समर्पित किए जाते हैं.

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श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर संस्था के सैकड़ों स्वयंसेवक दिन रात जुटे रहते हैं. पंक्ति में खड़े लोग दिव्य अन्नकूट दर्शन के लिए अपनी बारी की प्रतीक्षा जयकारों से करते हैं.

अन्नकूट की परंपरा भारतीय संस्कृति में द्वापर युग से मिलती है जब बाल कृष्ण ने ब्रजवासियों को नई फसल के अन्न और पकवान गिरिराज पर्वत को अर्पण कर प्रकृति के संरक्षण का व्यावहारिक संदेश दिया. 

बता दें अन्नकूट की परंपरा द्वापर युग में बालकृष्ण की गोवर्धन धारण लीला से शुरू हुई थी. कान्हा ने इंद्र का मान भंग करने और गोप ग्वाल समाज को प्रकृति से जोड़ने के लिए ये उपक्रम किया. इंद्र की पूजा बंद कर गिरिराज पर्वत की पूजा का विधान किया. इंद्र ने कोप कर घनघोर वर्षा की तो कान्हा ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन उठा लिया. सात दिन-रात बारिश हुई और भूखे प्यासे कान्हा ने गोवर्धन उठाए रखा.

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