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दिल्ली के महरौली आर्कियोलॉजिकल पार्क की बदहाल हालत पर हाई कोर्ट ने डीडीए को जमकर फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने तो दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को यहां तक कह दिया कि वह दिल्ली विनाश प्राधिकरण बन गया है.
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार, डीडीए और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को पार्क को संरक्षित कर उसे विरासत के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि पार्क और उसके आसपास लगातार अतिक्रमण हो रहा है. हाईकोर्ट ने डीडीए अधिकारियों से सवाल किया कि उन्होंने अब तक पार्क को सरंक्षित करने के लिए क्या क्या किया. कोई भी आकर आपके अधिकार क्षेत्र में आने वाली जमीन के साथ छेड़छाड़ करेगा, उसे खोद डालेगा और आप हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे. हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली भर में डीडीए की जमीन पर लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है.
वहीं, डीडीए के वकील ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने पार्क की चारदिवारी बनानी शुरू कर दी है. हाईकोर्ट ने पार्क का डिमारकेशन साकेत एसडीएम को तीन हफ्ते के भीतर करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 8 मार्च को होगी. हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार और सिविक एजेंसियां स्मारकों में दिलचस्पी नहीं रखती. उनका इन विरासतों को बचाने की तरफ ध्यान ही नहीं है.
हाईकोर्ट मे भारतीय कला सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट ने ये याचिका दायर की है. याची के अनुसार यह पार्क 100 एकड़ में फैला है। यहां करीब 80 स्मारक हैं, लेकिन सिविक एजेंसिया उसे संरक्षित करने में नाकाम साबित हुई हैं. पार्क में कुली खान का मकबरा, बलबन का मकबरा, मौलाना जमाली की मस्जिद बनी हुई है. नवंबर 2016 में हाई कोर्ट ने पार्क के क्षेत्र का डिमारकेशन करने का निर्देश दिया था.