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दिल्ली किडनी रैकेट केस में एक और डॉक्टर अरेस्ट, जरूरमंदों से 30 लाख तक वसूलता था गैंग

पुलिस के मुताबिक, प्रियांश शर्मा ने बरेली के srmsis कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. उसके बाद प्रियांश दिल्ली में सर्जन के तौर पर काम कर रहा था. प्रियांश ने 2007 से 2013 सैफई में भी काम किया है.

दिल्ली पुलिस ने अवैध तौर पर किडनी का ऑपरेशन करने वाले गिरोह का खुलासा किया है. दिल्ली पुलिस ने अवैध तौर पर किडनी का ऑपरेशन करने वाले गिरोह का खुलासा किया है.
तनसीम हैदर
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2022,
  • अपडेटेड 5:01 AM IST
  • आरोपी डॉक्टर दिल्ली के नामी अस्पताल में जॉब करता था
  • पुलिस ने अब तक 2 डॉक्टर्स समेत 11 लोगों को अरेस्ट कियाह

दक्षिणी दिल्ली में किडनी रैकेट के खुलासे के बाद पुलिस को चौंकाने वाली जानकारियां हाथ लग रही हैं. देर शाम पुलिस ने एक और डॉक्टर को रोहिणी इलाके से गिरफ्तार किया है. पकड़े गए डॉक्टर का नाम प्रियांश शर्मा है. ये दिल्ली के नामी अस्पताल में काम करता है. ये पूरा गैंग जरूरतमंदों से 30 लाख रुपए तक वसूला करता था.

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पुलिस के मुताबिक, प्रियांश शर्मा ने बरेली के srmsis कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. उसके बाद प्रियांश दिल्ली में सर्जन के तौर पर काम कर रहा था. प्रियांश ने 2007 से 2013 सैफई में भी काम किया है. ये डॉक्टर किडनी रैकेट के सरगना कुलदीप के साथ मिलकर काम करता था और सोनीपत-गोहाना में अवैध तौर पर किडनी ट्रांस्प्लांट के धंधे में जुड़ा था. बता दें कि इस मामले में दिल्ली पुलिस अब तक कुल 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. इसमें दो बड़े अस्तपाल के दो डॉक्टर शामिल हैं.


बताते चलें कि ये लोग हौज खास और आसपास के इलाकों में गरीब लोगों को टारगेट करते थे और उन्हें एक किडनी के बदले ढेरों पैसे देने का वादा करते थे. दूसरी तरफ गैंग के लोग उन लोगों के टच में रहते थे, जिन्हें किडनी की जरूरत होती है. दिल्ली पुलिस  के मुताबिक, अभी तक जो आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं, उनमें से दो डॉक्टर हैं और बाकी टेक्नीशियन और हेल्पर शामिल हैं.

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आरोपियों ने हरियाणा के सोनीपत में एक ऑपरेशन थिएटर भी बनाया हुआ था. इसी जगह पर ये लोगों का ऑपरेशन करते और किडनी निकालते थे. इसके बदले में जरूरतमंदों से लाखों रुपये लिए जाते थे. ये गैंग पिछले 6 महीने में 14 लोगों को टारगेट कर चुकी थी. पुलिस अब आरोपियों के मोबाइल डाटा और दूसरी जानकारियां खंगाल रही है. ये गरीब और मजबूर लोगों को टारगेट करते थे और उन्हें बड़ी रकम का लालच देते थे. पुलिस ने ये भी बताया कि आरोपी सोशल मीडिया के जरिये क्लाइंट तलाशते थे.

किडनी रैकेट की कहानी पीड़ित की जुबानी

गुजरात का रहने वाले रघु की माली हालत ठीक नहीं थी. रोजगार की तलाश में कुछ महीने पहले वह दिल्ली पहुंचा. रघु के मुताबिक उसे रोजगार मिलता, इसके पहले ही किसी ने उसका पर्स और कीमती सामान चोरी कर लिया. इसके बाद रघु नई दिल्ली के गुरुद्वारा पहुंचा. वहां पर वह काम करने लगा और 4 दिन तक वहीं पर रहा. इसी दौरान रघु की मुलाकात राजू नाम के एक शख्स से हुई. राजू जल्द समझ गया कि रघु के पास बिल्कुल पैसे नहीं हैं. इसके बाद राजू ने रघु से कहा कि वह अगर एक किडनी दे देता है तो उसकी सारी समस्याएं हल हो जाएंगी और उसे इतने पैसे मिलेंगे कि उसके सारे काम बन सकते हैं. 

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रघु के मुताबिक उसने शुरुआत में तो मना कर दिया लेकिन राजू ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. रघु से हर दिन यह कहता कि वह किडनी दे दे. एक बढ़िया काम है. किसी एक शख्स की जान भी बचेगी और उसे पैसे भी मिलेंगे और उसके शरीर पर कोई फर्क भी नहीं पड़ेगा. लगातार दबाव के बीच रघु बात मान गया. रघु के मानते ही राजू साथ में लेकर सीधे विपिन नाम के शख्स के पास पहुंचा. विपिन दलाल था. विपिन, रघु को लेकर पश्चिम विहार के किराए के फ्लैट पर पहुंचा. अगले 10 दिन तक रघु के सारे टेस्ट करवाए गए. इसके बाद रघु को उस शख्स से मिलवाया गया, जिसे किडनी चाहिए थी. 

13 मई को रघु को पश्चिम विहार फ्लैट पर ले जाया गया, वहां एक और डोनर था और एक दलाल मौजूद था. इसके बाद रघु को सोनीपत गोहाना के उस नर्सिंग होम में ले जाया गया, जहां पर ट्रांसप्लांटेशन को अंजाम देना था. रघु के मुताबिक, रविवार को उसका ऑपरेशन कर दिया गया. डॉक्टर शनिवार की रात वहां पर पहुंचे थे. ट्रांसप्लांटेशन के बाद रघु के पेट में बहुत दर्द हो रहा था. 3 दिन बाद उसे वापस दिल्ली शिफ्ट किया गया. वहां पर उसे 2 लाख दिए गए और कहा गया कि बाकी की रकम टांके कटने के बाद मिलेगी.

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रघु के मुताबिक जब टांके कटे तो उसे एक लाख 20 हजार और दिए गए. फिर टैक्सी करके उसे हौजरानी पहुंचा दिया गया. उनके पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही पुलिस आ गई और रघु ने पुलिस के सामने सारी बात कह दी.

पुलिस के मुताबिक गैंग का सरगना कुलदीप था. सूत्रों की मानें तो ओटी टेक्नीशियन कुलदीप डॉक्टर्स के साथ ट्रांसप्लांट में साथ रहता था. पूछताछ में कुलदीप ने पुलिस को बताया कि वो अकेले भी पूरे ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि पूरा ऑपरेशन कौन करता था. पुलिस के मुताबिक ये लोग 30 लाख तक में किडनी का सौदा करते थे. एजेंट्स को 30 हजार मिलते. डॉक्टर को 3 लाख, लैब टेक्नीशियन को 40 हजार मिलते. कुछ पैसे ये पीड़ित को रखने और टेस्ट में खर्च करते. जबकि बाकी कुलदीप और सोनू रखते. जबकि डोनर को महज 2 से 4 लाख मिलते थे.

पुलिस का कहना है कि ये रैकेट सोशल मीडिया के माध्यम से चलाया जा रहा था. शैलेश ने पेज बना रखा था, जिस पेज पर वो लोग जुड़ते, जिन्हें किडनी की जरूरत होती. या फिर वो लोग जो बेहद गरीब होते हैं और पैसे के लालच में फंस जाते. शैलेश बेहद गरीब लोगों की पहचान करता. फिर उन्हें बहाने से दिल्ली लाता और फिर लालच देकर किडनी निकाल ली जाती थी.

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जानकारी के मुताबिक 26 मई को अवैध रूप से चल रहे इस रैकेट की जानकारी हौज खास थाने की पुलिस को चली थी. दरअसल यहां के एक लैब में ट्रांसप्लांट से पहले पीड़ित के सारे टेस्ट किये जाते थे. यहीं पर पुलिस को पिंटू मिला, जिसका टेस्ट कराने के लिये दलाल लेकर आये थे. पिंटू की मदद से पुलिस पहले हौज रानी के दलालों के ठिकाने पहुंची. फिर पश्चिम विहार और उसके बाद गोहाना के नर्सिंग होम.

साउथ दिल्ली की डीसीपी बेनिता मेरी जेकर ने बताया कि 29 मई को दिल्ली पुलिस की टीम गोहाना पुलिस की टीम, एफएसएल, डीएनए एक्सपर्ट, बायोलॉजी एक्सपर्ट की टीम, सायबर एक्सपर्ट की टीम और फोटोग्राफर कि टीम के साथ रेड कर दी. दिन भर चली रेड में पुलिस ने गोहाना के हॉस्पिटल के सारे सुराग जब्त कर लिए.

पकड़ में आये ये आरोपी

  • सर्वजीत और शैलेश नए पीड़ितों को जाल में फसाने का काम करते थे.
  • 24 साल का मोहम्मद लतीफ लैब में फील्ड बॉय का काम करता था और ट्रांसप्लांट के पहले टेस्ट करवाता था.
  • 24 साल के विकास ने पश्चिम विहार में किराए का घर ले रखा था जहां पर डोनर को रखा जाता था और विकास आगे रंजीत की मदद से डोनर को गोहाना भेजता था.
  • 43 साल का रंजीत डोनर का पश्चिम विहार के फ्लैट में ध्यान रखता था और डोनर को साथ लेकर गोहाना जाता था.
  • खुद को डॉक्टर बताने वाले डॉक्टर सोनू रोहिल्ला ने गोहाना के सेटअप को लगाया था.
  • 37 साल के सौरभ मित्तल ज्योतिषी थे. मित्तल ट्रांसप्लांट में भी मदद करते थे.
  • 46 साल का कुलदीप विश्वकर्मा, 48 साल का ओम प्रकाश, 36 साल का मनोज तिवारी ओटी टैक्नीशियन थे. ये भी अवैध ट्रांसप्लांट में साथ रहते थे.
     

 

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