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दिल्लीः किसान नेताओं के साथ सीएम केजरीवाल की बैठक शुरू, स्पीकर भी मौजूद

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि बैठक के दौरान सीएम और किसान नेता इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि ये तीनों काले कानून कैसे वापस कराए जाएं.

सीएम के साथ राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी बैठक में मौजूद सीएम के साथ राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी बैठक में मौजूद
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:17 PM IST
  • मेरठ में आयोजित किसान महापंचायत को लेकर होगी बात
  • बैठक के लिए पहुंचे नेताओं को नाम-वाहन नंबर की जांच के बाद एंट्री
  • दिल्ली पुलिस ने किए तगड़े सुरक्षा इंतजामात, ड्रोन से निगरानी

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं. दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसान संगठनों के नेताओं के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दिल्ली विधानसभा में बैठक शुरू हो गई है. बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ ही आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह, दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत, राजेंद्र पाल के साथ ही विधानसभा के स्पीकर राम निवास गोयल भी मौजूद हैं.

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सीएम केजरीवाल के साथ मीटिंग के लिए किसान नेताओं के विधानसभा पहुंचे नेताओं को नाम और वाहन नंबर चेक करने के बाद ही एंट्री दी गई. विधानसभा के बाहर पुलिस ने सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए हैं. हालात पर नजर रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने ड्रोन कैमरे की भी मदद ली. जानकारी के मुताबिक बैठक में ब्रज पाल चौधरी, यश पाल चौधरी, सुभाष चौधरी, रोहित जाखड़ (जाट महासभा), ब्रज वीर सिंह (अहलावत खाप), राकेश सहरावत (सहरावत खाप), ओमपाल सिंह (काकरान खाप), बिल्लु प्रमुख (गुलिया खाप), ऊधम सिंह समेत यूपी की कई खाप पंचायतों के चौधरी शामिल होंगे. किसान नेता कुलदीप त्यागी और पूरण सिंह भी बैठक में शामिल हो रहे हैं.

इस बैठक से पहले एजेंडा क्या है, इसे लेकर आम आदमी पार्टी (एएपी) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आजतक से खुलकर बात की. संजय सिंह ने कहा कि पिछले 90 दिनों से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. किसानों की एक ही मांग है कि तीनों कानून वापिस लिए जाएं लेकिन सरकार अपनी जिद पर अड़ी है. आंसू गैस के गोले, पानी की बौछार, लाठियों से पिटवाने के साथ सरकार कंटीले तार लगवा रही है. किसानों को आतंकवादी, कभी खालिस्तानी और देशद्रोही कहा जा रहा है. अपमान की हर संज्ञा से किसानों को नवाजा जा रहा है.

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संजय सिंह ने केजरीवाल की किसान नेताओं के साथ बैठक के एजेंडे को लेकर बात करते हुए कहा कि 28 फरवरी को मेरठ में एएपी की किसान महापंचायत का आयोजन होना है. इसे लेकर यूपी के कई जिलों में किसान संगठनों के नेताओं से मुलाकात के साथ ही गांव-गांव में जनसंपर्क किया जा रहा है. किसान नेताओं के साथ सीएम केजरीवाल की बैठक किसानों के मसले पर रणनीति तय करने के लिए है. उन्होंने कहा कि सीएम के साथ बैठक में यूपी के 10 जिलों से खाप चौधरी और किसान संगठनों के नेता शामिल होंगे. बैठक के दौरान चर्चा में यूपी के मुद्दे भी आएंगे जैसे गन्ना का मूल्य पिछले कई साल से एक पैसा भी नहीं बढ़ाया जाना, बिजली का तीन गुना महंगा कर दिया जाना. ट्यूबवेल में भी मीटर लगाए जा रहे हैं.

एएपी के राज्यसभा सांसद ने कहा कि बैठक के दौरान सीएम और किसान नेता इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि ये तीनों काले कानून कैसे वापस कराए जाएं. दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों से बातचीत को लेकर संजय सिंह ने कहा कि आंदोलन का नेतृत्व करने वालों के क्या नियम होंगे ये उनका मामला है. नेताओं को मंच पर बुलाना शुद्ध रूप से किसान संगठनों का फैसला होता है. इस बैठक के जरिये यूपी में आगामी निकाय और विधानसभा चुनाव से पहले अपनी जमीन तलाशने की कोशिश के आरोप पर उन्होंने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है. जब संसद में यह मुद्दा उठाया या आंदोलन स्थल पर किसानों का सहयोग किया तब चुनाव की कोई चर्चा नहीं थी. आम आदमी पार्टी अन्नदाता को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रही है जबकि चुनाव के लिए लोग स्वतंत्र हैं कि कहां वोट देना है.

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संजय सिंह ने साथ ही यह भी कहा कि कंटीले तार लगाने वालों के लिए किसान भी इस चुनाव में कंटीले तार लगाएंगे. किसान नेताओं के साथ बैठक में चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है और न होगी. एएपी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह केंद्र सरकार पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि संसद में प्रधानमंत्री आंदोलनजीवी कहकर आंदोलनकारियों का मजाक उड़ाते हैं. मौत पर अट्टहास करने जैसी स्थिति आज देश की सरकार की हो गई है. इस आंदोलन के दौरान 200 से अधिक किसान जान गंवा चुके हैं लेकिन सरकार नींद से जागने को तैयार नही है. केंद्र सरकार की किसानों के साथ लंबे समय से बैठक न होने को लेकर संजय सिंह ने कहा कि किसान तीनों काले कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सरकार की नीयत साफ हो तो दो घंटे में समाधान हो सकता है. 8 मार्च से शुरू हो रहे संसद सत्र में ये कानून वापस लिए जाने चाहिए.

किसान संगठनों से लिखित समझौता करे सरकार

संजय सिंह ने कहा कि सरकार को किसान संगठनों के साथ एक लिखित समझौता कर तीनों कानून वापस लेने चाहिए और एमएसपी था एमएसपी है एमएसपी रहेगा, ये एक लाइन कहने की बजाय कानून में लिखें कि एमएसपी से कम पर खरीद हुई तो कानूनी कार्रवाई होगी. लेकिन सरकार की नीयत ठीक नहीं है. आगे संजय सिंह ने पूछा कि किसान को सरकार एमएसपी नहीं देना चाहती. डीजल, यूरिया, मजदूरी, सिंचाई महंगी हो गई है तो किसान की आय दोगुनी कैसे होगी. सरकार की नीयत पर एक हजार सवाल हैं क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिये किसानों की जमीन लेने की योजना है. वहीं, असीमित भंडारण के माध्यम से महंगाई बढ़ेगी. किसान इसके खिलाफ है.

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