
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर राजनीतिक नेताओं को डराने-धमकाने और अपने हितों की पूर्ति के लिए अन्य पार्टियों को बरगलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में राज्य सरकारों के साथ प्रमुख दल होने के बावजूद वाईएसआरसीपी और बीजेडी भाजपा द्वारा प्रस्तावित एक अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक विधेयक का समर्थन कर रही है.
राघव चड्ढा का तंज
सांसद राघव चड्ढा ने तंज कसते हुए कहा कि 'कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता.' उन्होंने कहा कि दिल्ली अध्यादेश विधेयक का उद्देश्य शक्तियों को केंद्रीकृत करना और राज्य सरकारों की स्वायत्तता को कमजोर करना है. इससे देश के संघीय ढांचे के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है. इस तरह के विधेयक का समर्थन करने के लिए वाईएसआरसीपी और बीजेडी की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन है.
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बीजेपी पर किया हमला
राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली में यह विधेयक एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा और भविष्य में सभी गैर-भाजपा राज्यों का भी यही हश्र हो सकता है. AAP के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि पार्टी को जनता का प्यार और समर्थन हासिल है. 25 वर्षों तक दिल्ली में चुनाव जीतने में असमर्थ रही भाजपा की हताशा विभिन्न अध्यादेशों, विधेयकों और अधिसूचनाओं के माध्यम से राज्य सरकार की शक्तियों को कम करने के उनके प्रयासों से स्पष्ट होती है.
राघव चड्ढा ने दिल्ली अध्यादेश बिल की कड़ी आलोचना करते हुए इसे देश विरोधी करार दिया. उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसे कानून का समर्थन करेंगे, उन्हें इतिहास में राष्ट्र-विरोधी के रूप में याद किया जाएगा, जबकि इसका विरोध करने वालों को देशभक्त के रूप में देखा जाएगा.
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इन दलों के रुख पर टिकी थी AAP की आस
आम आदमी पार्टी की एनसीटी दिल्ली (संशोधन) विधेयक को राज्यसभा में रोकने की आस बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति के रुख पर टिकी थी. अरविंद केजरीवाल की पार्टी को उम्मीद थी कि ऐसे दल जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं, उनका साथ देंगे और संसद में बिल के विरोध में मतदान करेंगे. तटस्थ दलों की लिस्ट में बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस), सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ), तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी (लिबरल) भी हैं.
दिल्ली विधेयक के समर्थन में आए ये दल
सरकार ने दिल्ली सेवा बिल संसद में पेश कर दिया है. बिल पेश किए जाने के बाद संख्याबल के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही पार्टियों का रुख भी स्पष्ट हो गया है. आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा की सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजेडी) के साथ ही तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने विधेयक का समर्थन कर दिया है. वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी के राज्यसभा में नौ-नौ सदस्य हैं. टीडीपी का राज्यसभा में एक सदस्य है.
बिल के खिलाफ विपक्ष को मिला बसपा का साथ
विपक्षी पार्टियों को दिल्ली से संबंधित विधेयक के खिलाफ न्यूट्रल पार्टियों में से एक पार्टी का साथ मिला है. मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बिल का विरोध करते हुए विपक्षी गठबंधन का साथ देने का ऐलान कर दिया है. राज्यसभा में बसपा का भी केवल एक सदस्य ही है.