
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान जारी है. LG वीके सक्सेना के आदेश पर दिल्ली सरकार के सर्विस विभाग के स्पेशल सेक्रेट्री वाईवीवीजे राजशेखर ने विभिन्न विभागों के 437 फेलो/एसोसिएट फेलो आदि की सेवाएं तुरंत समाप्त करने के आदेश दिए थे. इसके आधार पर दिल्ली असेंबली रिसर्च सेंटर (DARC) ने 116 फेलो/एसोसिएट फेलो आदि की सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी किया था. लेकिन
अब DARC ने दोबारा आदेश जारी करके कहा है कि सेवाएं समाप्त करने का आदेश अभी लागू नहीं होगा. इतना ही नहीं, केजरीवाल सरकार एलजी के इस फैसले के खिलाफ SC पहुंच गई है.
हाल ही में उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया था कि इन नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया है. ये लोग दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों और एजेंसियों में फेलो/सहायक फेलो, सलाहकार/उप सलाहकार, विशेषज्ञ/सीनियर रिसर्च अधिकारी और कंसल्टेंट पदों पर नियुक्त हैं.
इनमें से कई उम्मीदवार इन पदों के लिए पर्याप्त शैक्षणिक योग्यताओं को पूरा भी नहीं करते. कई उम्मीदवार ऐसे हैं,जिनके पास इन पदों के लिए पर्याप्त अनुभव भी नहीं है. लेकिन फिर भी उचित मानदंड़ों का पालन किए बिना इनकी नियुक्तियां कर दी गईं.
सेवा विभाग ने इन 437 लोगों को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट करने के लिए एलजी सक्सेना से अनुरोध किया था. इसके बाद उपराज्यपाल ने इन अनुरोध को स्वीकार कर यह एक्शन लिया. एलजी के आदेश के बाद दिल्ली सरकार के सर्विस विभाग के स्पेशल सेक्रेट्री ने इन 437 लोगों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दिए थे.
पॉक्सो केस के समाधान को लेकर LG ने दिए स्पेशल कोर्ट की स्थापना के आदेश
वहीं, दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों का समाधान करने के लिए 03 नामित/स्पेशल कोर्ट की स्थापना को मंजूरी दे दी है. यह राजधानी के राउज़ एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स में स्थापित होगी. दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद यह प्रस्ताव करीब पौने तीन साल से दिल्ली सरकार के पास लंबित था. ये बच्चों के खिलाफ अपराधों की सुनवाई, बाल अधिकारों के उल्लंघन और POCSO अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई से संबंधित मामलों में पहले से अधिसूचित 08 अदालतों के अतिरिक्त होंगे.