
दिल्ली से न सिर्फ आम आदमी पार्टी की विदाई हो गई है, बल्कि यहां की राजनीति में भी 360 डिग्री का टर्न हो गया है. याद कीजिए 2014-15 का दौर, जब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल बंपर बहुमत के साथ सत्ता में आए थे. तब अरविंद केजरीवाल CAG रिपोर्ट के आधार पर सत्ता से बाहर हुईं पूर्व सीएम शीला दीक्षित पर लगातार हमले कर रहे थे. और उन्हें करप्शन मामले में जेल भेजने की मांग कर रहे थे.
अब 2025 में CAG की वैसी ही रिपोर्ट आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुश्किलें लेकर आई है. CAG की रिपोर्ट को आज दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाना है.
CAG की इस रिपोर्ट में AAP सरकार पर मुख्यमंत्री आवास और मोहल्ला क्लीनिक्स के रिनोवेशन में कथित अनियमितताओं का जिक्र है. CAG रिपोर्ट को लेकर दिल्ली की बीजेपी सरकार आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर हमलावर है.
हम आपको बताते हैं कि 2013-14 और 2015 में CAG को आधार बनाकर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और शीला दीक्षित पर क्या क्या हमले किए थे.
राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में जांच और FIR
2013-14 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद अरविंद केजरीवाल ने CAG की रिपोर्ट का हवाला देते हुए शीला दीक्षित सरकार पर 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. उन्होंने दावा किया कि CAG रिपोर्ट में 90 करोड़ की स्ट्रीट लाइटिंग प्रोजेक्ट में गड़बड़ी का जिक्र है.
इसके आधार पर उन्होंने दिल्ली सरकार की एसीबी को शीला दीक्षित के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया था.
तब दिल्ली सरकार के तत्कालीन कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने कहा था कि शीला दीक्षित के शासनकाल के दौरान हुए राष्ट्रमंडल खेलों से संबंधित कई परियोजनाओं की जांच दिल्ली सरकार के अधीन काम करने वाली एसीबी द्वारा की जाएगी.
CAG रिपोर्ट को बताया 370 पन्नों का सबूत
2013 से 2015 के बीच हुए दो दिल्ली चुनावों के दौरान अरविंद केजरीवाल ने CAG रिपोर्ट को "370 पन्नों का सबूत" बताते हुए दावा किया कि यह शीला सरकार की नाकामियों और भ्रष्टाचार को उजागर करता है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की जनवरी 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार तब अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि राज्य सतर्कता आयोग द्वारा उठाए गए पिछले मामलों पर कभी विचार नहीं किया गया और उन्हें दबा दिया गया.
तब केजरीवाल ने कहा कि उनके पास 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान हुई गड़बड़ियों के सबूत हैं और उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की थी, लेकिन उसमें किसी का नाम नहीं था. उन्होंने कहा था, "नवंबर 2010 में मैंने राष्ट्रमंडल खेलों में हुए घोटाले पर 370 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान भ्रष्ट आचरण के सबूत शामिल हैं. इसमें किसी का नाम नहीं है। यह अखबारों की खबरों पर आधारित थी."
टैंकर घोटाला
आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने वर्ष 2015 के जून में शीला दीक्षित सरकार के शासनकाल वर्ष 2012 में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा 385 स्टेनसेल स्टील के पानी टैंकरों को किराये पर लेने के मामले में हुए कथित अनियमितताओं की सच्चाई का पता लगाने के लिए कमेटी गठित की थी.
इसके बाद जून 2016 में अरविंद केजरीवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और उन्हें जेल भेजने की मांग की थी. तब उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में पानी टैंकर घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में कहा था, “हमने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप राज्यपाल नजीब जंग को घोटाले पर एक रिपोर्ट सौंपी है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि शीला दीक्षित दो माह के अंदर जेल जाएं.”
दिसंबर 2023 में सीएम रहे अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड का 15 साल का स्पेशल ऑडिट सीएजी से कराने का फैसला लिया था. केजरीवाल ने कहा था कि 2008 से लेकर अबतक दिल्ली जल बोर्ड के सारे अकाउंट का ऑडिट कराया जाएगा.
अनाधिकृत कॉलोनी घोटाला
जुलाई 2014 में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ 3000 करोड़ रुपये के अनाधिकृत कॉलोनी घोटाले में उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी.
CAG रिपोर्ट का हवाला देते हुए AAP ने दावा किया था कि, ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की नवीनतम रिपोर्ट इस मुद्दे पर पूर्व लोकायुक्त के निष्कर्षों की पुष्टि करती है. यह रिपोर्ट दिल्ली के उपराज्यपाल के पास है.’
AAP ने तब कहा था कि 'अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले गरीबों को मूर्ख बनाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए उन्हें केरल का राज्यपाल बना दिया गया. उन्होंने पानी कनेक्शन, सड़कें, सीवर, निकासी लाइन जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित कराए बगैर ही इन कॉलोनियों को नियमितीकरण प्रमाणपत्र दिए थे.'
बता दें कि 2013 के चुनाव में केजरीवाल ने CAG रिपोर्ट को अपने चुनावी अभियान का प्रमुख हिस्सा बनाया और इसे कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता को लामबंद करने में इस्तेमाल किया.
AAP सरकार ने फरवरी 2014 में CWG घोटाले में शीला दीक्षित के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था. हालांकि, उनकी पहली सरकार 49 दिनों में गिर गई, और बाद में यह जांच ठंडे बस्ते में चली गई.