
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के ख़िलाफ समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों विपक्ष के तमाम नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. उन्हें कई पार्टियों का समर्थन भी मिल रहा है. दरअसल, केजरीवाल की प्लानिंग है कि इस बिल को राज्यसभा में निरस्त करवा दिया जाए. इसी के लिए वह कड़ी मशक्कत कर रहे हैं. अभी तक JDU, RJD, TMC, शिवसेना (UBT), NCP, BRS और CPI (M) के बाद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने अध्यादेश के खिलाफ अपना समर्थन दिया है.
दरअसल, अरविंद केजरीवाल तमिलनाडु के सीएम और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन से मिलने चेन्नई पहुंचे. CM स्टालिन ने आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी राज्यसभा में अध्यादेश के खिलाफ मतदान करेगी. स्टालिन ने केंद्र पर गैर भाजपा शासित राज्यों में संकट पैदा करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र सरकार विधिवत निर्वाचित सरकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने से रोक रही है. स्टालिन ने आग्रह किया कि गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक दलों के नेताओं को भी अध्यादेश के विरोध में अपना समर्थन देना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए विपक्षी दलों के बीच इस तरह की स्वस्थ चर्चा जारी रहनी चाहिए.
उधर, केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली की जनता 8 साल तक न्याय के लिए लड़ती रही, लेकिन उसके पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बीजेपी ने महज 8 दिनों में पलट दिया. उन्होंने केंद्र के अध्यादेश को अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और देश के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया.
लोकतंत्र बचाने के लिए DMK का समर्थन चाहिए: भगवंत मान
इस मुलाकात के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि DMK सरकार को एक ऐसे राज्यपाल के खिलाफ लड़ाई लड़नी पड़ी, जिसने न केवल विधेयकों को पारित करने से परहेज किया, बल्कि राज्य सरकार द्वारा तैयार किए गए भाषण को भी नहीं पढ़ा. मान ने कहा कि मैं अपने राज्य में भी इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहा हूं. मुझे बजट सत्र बुलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा, क्योंकि राज्यपाल इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे. हम लोकतंत्र को बचाने के लिए डीएमके का समर्थन चाहते हैं.
2 जून को हेमंत सोरेन से मिलेंगे केजरीवाल
दिल्ली के सीएम ने कहा कि उनके अभियान को पूरे भारत में राजनीतिक दलों से अनुकूल प्रतिक्रिया मिल रही है. वह अभी तक उद्धव ठाकरे, के चंद्रशेखर राव, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी और स्टालिन से मिल चुके हैं. उन्होंने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की है. वह कल यानी 2 जून को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से मिलने वाले हैं.
परसों 2 जून को झारखंड के मुख्यमंत्री श्री @HemantSorenJMM जी से राँची में मुलाक़ात करूँगा। दिल्ली की जनता के ख़िलाफ़ मोदी सरकार द्वारा पारित अध्यादेश के ख़िलाफ़ उनका समर्थन माँगूँगा।
'बिल को राज्यसभा में हाराना 2024 से पहले सेमीफाइनल जैसा'
विभिन्न दलों से मुलाकात के बाद केजरीवाल का आत्मविश्वास भी बढ़ता जा रहा है. उनका कहना है कि वह इस बिल को सफलतापूर्वक हरा देंगे. राज्यसभा में इस लड़ाई के परिणाम को 2024 के चुनावों के लिहाज से सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है. जो एक शक्तिशाली संदेश देगा कि एकजुट विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा है.
अध्यादेश के समर्थन में किसने क्या कहा?
केजरीवाल से मुलाकात के बाद CPI (M) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने भी केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ AAP सरकार का साथ देने की घोषणा की थी. केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में मोदी सरकार अपनी तानाशाही चला रही है और अध्यादेश लाकर दिल्ली की जनता के हक छीन रही है. राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है. अगर पूरा विपक्ष एक साथ आता है तो राज्यसभा में इस अध्यादेश को गिराया जा सकता है.
वहीं, केसीआर ने कहा था कि पीएम मोदी को अध्यादेश वापस लेना चाहिए, हम इसकी मांग करते हैं. यह समय आपातकाल के दिनों से भी बदतर है, आप (केंद्र) लोगों द्वारा चुनी गई सरकार को काम करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने इस दौरान यह भी कहा कि केंद्र गैर भाजपा सरकारों को काम नहीं करने दे रही है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी बहुत लोकप्रिय है. उधर, ममता ने दिल्ली सरकार को समर्थन करते हुए कहा कि वो राज्यसभा में इस अध्यादेश का विरोध करेंगी. हमें डर है कि केंद्र सरकार संविधान बदल सकती है, वे देश का नाम बदल सकते हैं. केजरीवाल ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, 'दिल्ली की जनता के साथ बहुत अन्याय हो रहा है.
ओवैसी ने किया समर्थन से इनकार
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केजरीवाल को अपना समर्थन देने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा कि वह केंद्रीय अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि AAP प्रमुख 'कट्टर हिंदुत्व' का पालन करते हैं. केजरीवाल ने आर्टिकल 370 पर भाजपा का समर्थन क्यों किया? अब वह क्यों रो रहे हैं? मैं केजरीवाल का समर्थन नहीं करूंगा, क्योंकि वह सिर्फ नरम हिंदुत्व नहीं, बल्कि कट्टर हिंदुत्व का पालन करते हैं." जब 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 को निरस्त कर दिया गया, तो अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र के फैसले का समर्थन किया.
कांग्रेस से समर्थन को लेकर क्या बोले केजरीवाल
केजरीवाल ने कांग्रेस को लेकर कहा कि दिल्ली सेवा अध्यादेश पर कांग्रेस को आम आदमी पार्टी का समर्थन करना चाहिए. मैंने राहुल जी और खड़गे जी से मिलने का समय मांगा है. मुझे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस इसका समर्थन करेगी, उनके पास इसका समर्थन न करने का कोई कारण नहीं है. यह विधेयक लोकतांत्रिक और संघवाद के खिलाफ है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया था?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ‘प्रशासन पर नियंत्रण’ को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहे मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. कई साल से चले आ रहे इस मामले में आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिली. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के पांच साल पुराने फैसले को पलटते हुए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और उसे नौकरशाही पर नियंत्रण का हक दिया. लेकिन इस फैसले के कुछ दिन बाद ही केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के अधिकारों पर 'राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण' बनाने का अध्यादेश लेकर आ गई. इस अध्यादेश ने दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार फिर से उपराज्यपाल को दे दिया है.