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रिपोर्ट कार्ड: केजरीवाल सरकार कामकाज में पास, लेकिन जनता विधायकों से है नाखुश

दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त केजरीवाल ने कई उम्मीदें जगाई थीं. लेकिन तब उन पर दबाव साफ नजर आ रहा था. आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत ने भारतीय लोकतंत्र को चौंका दिया था.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार 14 फरवरी 2016 को अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रही है. उम्मीदों और वादों के बीच 365 दिनों का समय अब बीतने को है. मौका आ गया है कि सरकार के उन वायदों और कामकाज की पड़ताल की जाए, जो मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता से किए थे.

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'आज तक' यह जानने के लिए सीधे जनता के बीच पहुंची और यह पता लगाने की कोशि‍श की है कि यह सरकार अपने वायदों और कामकाज पर कितनी खरी उतरी है. 'इंडिया टुडे' और 'जीएफके मोड' के सर्वे में शामिल 1000 से अधि‍क लोगों में से 43 फीसदी ने केजरीवाल सरकार के एक साल के कामकाज को अच्छा बताया है, जबकि 31 फीसदी ने इसे औसत का दर्जा दिया है.

हालांकि बतौर सीएम अरविंद केजरीवाल के प्रदर्शन को सरकार के कामकाज के मुकाबले ज्यादा लोगों ने अच्छा बताया है. सर्वे में 48 फीसदी लोगों ने अरविंद केजरीवाल के बतौर सीएम कामकाज को अच्छा माना है. लेकिन दिलचस्प यह भी है कि आम आदमी के इस मुख्यमंत्री से 24 फीसदी लोग नाखुश भी हैं.

आम आदमी पार्टी के विधायकों के कामकाज से सर्वे में शामिल 39 फीसदी लोगों ने खुशी जताई है. 31 फीसदी ने कहा कि वह उतने खुश नहीं हैं, जबकि 26 फीसदी ने सीधे तौर पर कहा कि वह विधायकों से दुखी हैं.

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महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार नाकाम
इंडिया टुडे जीएफके मोड के सर्वे में 59 फीसदी लोगों ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार की सबसे बड़ी नाकामी करार दिया है, वहीं 37 फीसदी ने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे में बदलाव लाने में असफल रही है.

दूसरी ओर, 44 फीसदी लोगों ने कहा कि वह सरकारी सेवा में सुधार के केजरीवाल सरकार के दावे से सहमत हैं. जबकि 47 फीसदी लोगों ने इसे नकार दिया. उन्होंने कहा कि सरकारी सेवा में कोई बदलाव नहीं आया है. हालांकि, 9 फीसदी लोगों ने यह भी कहा कि सरकारी सेवा में गिरावट आई है.

मुफ्त बिजली-पानी सबसे बड़ी कामयाबी
मुफ्त बिजली-पानी के वादे पर सरकार के काम को सबसे सफल बताया गया है. सर्वे में 65 फीसदी लोगों ने मुफ्त पानी-बिजली को सरकार की कामयाबी बताया है. 16 फीसदी ने सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा की सेवा को केजरीवाल सरकार की कामयाबी माना है.

दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते वक्त केजरीवाल ने कई उम्मीदें जगाई थीं. लेकिन तब उन पर दबाव साफ नजर आ रहा था. आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत ने भारतीय लोकतंत्र को चौंका दिया था. दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 सीटों में से 67 सीटों पर कब्जा जमाकर इतिहास रचने वाले केजरीवाल ने रामलीला मैदान में जनता के बीच शपथ ली.

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हमेशा के लिए लागू हो ऑड इवन
सर्वे में शामिल 1000 से ज्यादा लोगों ने केजरीवाल सरकार के ऑड इवन प्लान को बेहतरीन करार दिया है. यही नहीं, 15 दिनों के लिए ट्रायल पर लागू हुए इस नियम को लेकर लोगों को खुशी जताई है. सर्वे में शामिल 81 फीसदी लोगों ने बताया कि उनकी चाहत है कि ऑड इवन को हमेशा के लिए लागू हो.

हालांकि, 51 फीसदी लोगों ने यह भी माना है कि ऑड इवन योजना से सिर्फ ट्रैफिक पर असर पड़ा है. 10 फीसदी लोगों ने इसे बेकार आइडिया करार दिया है.

दिल्ली में कम हुआ भ्रष्टाचार
सर्वे में जनता ने दिल्ली की सरकार को भ्रष्टाचार के मोर्चे पर अब तक सफल करार दिया है. भ्रष्टाचार के खि‍लाफ आंदोलन के रास्ते सत्ता का शि‍खर चूमने वाली केजरीवाल सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर 51 फीसदी लोगों ने पास किया है. जबकि 36 फीसदी ने कहा कि दिल्ली में भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है.

कानून व्यवस्था में मामूली फर्क
इंडिया टुडे-जीएके मोड के सर्वे में शामिल लोगों में से 37 फीसदी ने दिल्ली में कानून व्यवस्था को बेहतर बताया है, जबकि 36 फीसदी ने यह कहा कि इस ओर केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में कोई विशेष फर्क नहीं आया है.

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बेहतर नहीं सबसे बेहतर सीएम हैं केजरीवाल
सर्वे में अरविंद केजरीवाल बतौर मुख्यमंत्री पहली और सबसे बड़ी पसंद बनकर उभरे हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी शख्सि‍यत ऐसी है कि उनके आसपास भी कोई नहीं है. सर्वे में शामिल 45 फीसदी लोगों ने केजरीवाल को सबसे बेहतर सीएम बताया है, जबकि उनके बाद 24 फीसदी ने बीजेपी नेता डॉ. हर्षवर्धन को, 18 फीसदी ने शीला दीक्षि‍त को, 7 फीसदी ने मनीष सिसोदिया को और 4 फीसदी ने अजय माकन को बेहतर बताया है.

सर्वे में शामिल लोगों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की राजनीति ही करनी चाहिए. महज 17 फीसदी लोगों का मत है कि केजरीवाल को राष्ट्रीय राजनीति में किस्मत आजमानी चाहिए.

केंद्र सरकार के अधीन ही रहे पुलिस
केजरीवाल सरकार हमेशा से यह मांग करती रही दिल्ली पुलिस उसके अधीन होनी चाहिए. लेकिन सर्वे में इसको लेकर जनता की राय बंटी हुई नजर आई. 43 फीसदी लोगों ने जहां यह कहा कि दिल्ली पुलिस को राज्य सरकार के अधीन होना चाहिए, वहीं 48 फीसदी ने कहा कि जो जैसा है वैसा ही रहना चाहिए.

केंद्र और पुलिस के झगड़े में रुका विकास
दिलचस्प बात यह है कि इस सर्वे में शामिल 64 फीसदी लोगों ने यह माना है कि केंद्र, पुलिस के झगड़े में दिल्ली का विकास रुका है. 54 फीसदी लोगों ने दिल्ली सरकार के मामलों में केंद्र के दखल को सही माना है, जबकि 45 फीसदी ने इससे असहमति जताई है.

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भ्रष्टाचार को लेकर बढ़ी जागरुकता
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को बड़ी सफलता मिली है. लोगों ने न सिर्फ यह माना कि सरकार भ्रष्टाचार को कम करने में कामयाब रही है, बल्कि‍ 59 फीसदी ने यह भी स्वीकार किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार के आने से शासन में भ्रष्टाचार को लेकर जागरुकता बढ़ी है.

कैसे की गई रायशुमारी
इंडिया टुडे ग्रुप और जीएफके मोड ने सरकार के एक साल के कामकाज का जायजा और इस ओर जनता की रायशुमारी के लिए दिल्ली में 50 से अधि‍क अलग-अलग जगहों पर 1000 से अधि‍क लोगों से बातचीत की. इसमें 18 साल से अधि‍क उम्र के लोगों को शामिल किया गया. ऑड इवन से लेकर निगम कर्मचारियों की हड़ताल तक सभी मुद्दों पर बात की गई.

हालांकि इन सब के बीच बीते दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनका मंत्रिमंडल 14 फरवरी को दिन एक सार्वजनिक समारोह में जनता के सवाल और सुझाव सुनेगा. केजरीवाल और उनकी कैबिनेट के सहयोगी मंत्री फोन पर भी सवाल सुनेंगे और समारोह में पिछले एक साल में हासिल उपलब्धियों के बारे में जनता को बताएंगे, अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे.

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