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अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली में कोरोना संक्रमण को काबू करने और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए इस साल (वित्तीय वर्ष 2021-22) करीब 1544 करोड़ रुपये खर्च करेगी. कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को लेकर दिल्ली सरकार की तरफ से चल रही विभिन्न गतिविधियों पर होने वाले खर्च के लिए केजरीवाल कैबिनेट ने आज शुक्रवार को 1544 करोड़ रुपये के फंड को अपनी मंजूरी दे दी है. यह बजट टेस्टिंग और लैब, दवा व उपकरण खरीदने, एडिशनल ह्यूमन रिसोर्स जुटाने, अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने और कोविड देखभाल केंद्रों के प्रबंधन आदि पर खर्च किया जाएगा.
तीसरी लहर की संभावना
शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में कोविड-19 के प्रबंधन पर होने वाले खर्च का प्रस्ताव रखा गया. कैबिनेट ने यह महसूस किया कि अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है और तीसरी लहर आने की संभावना जताई जा रही है. लिहाजा कोविड-19 के नियंत्रण और रोकथाम को लेकर किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए. जिसके बाद कैबिनेट ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए सर्वसम्मति से राज्य ईसीआरपी 2021-22 के लिए 1544.24 करोड़ रुपये के फंड को मंजूरी प्रदान कर दी.
इस फंड में से दिल्ली सरकार टेस्टिंग और लैब में 415.54 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसी तरह, दवा और उपकरणों आदि की खरीद में 445 करोड़, अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने में 280 करोड़ रुपये, एडिशनल ह्यूमन रिसोर्स जुटाने पर 150 करोड़ रुपये और कोविड देखभाल केंद्रों के प्रबंधन के लिए 125 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इसके अलावा अन्य गतिविधियों पर बजट खर्च किया जाना है.
तैयारी के लिए राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन
दिल्ली ने अब तक कोविड-19 महामारी की चार लहरों का सामना किया है, जिसमें दो छोटी लहरें शामिल हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भारत में केवल दो प्रमुख कोविड-19 लहर आई थी. कोविड-19 की अप्रैल से जून 2021 के दौरान आई लहर के दौरान कोरोना के मामलों में सबसे अधिक उछाल देखा गया था. वहीं, विशेषज्ञ दिल्ली सहित देश में कोविड-19 की तीसरी लहर आने की आशंका जता रहे हैं.
विशेषज्ञ यह संभावना भी जता रहे हैं कि अगर संभावित तीसरी लहर आती है, तो बीती कोविड-19 लहरों से कहीं ज्यादा मामले आ सकते हैं. दिल्ली सरकार ने दिल्ली में कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के प्रबंधन की तैयारी के लिए राज्य नोडल अधिकारी और कई कार्य आधारित उप समितियों के तहत एक राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन भी किया है.
बनाए गए सात नए अस्पताल
केजरीवाल सरकार की तरफ से दिल्ली में 7 नए अस्पताल बनाए जा रहे हैं. इन सात अस्पातलों में 6836 आईसीयू बेड होंगे. जिसके बाद दिल्ली में आईसीयू बेड की क्षमता बढ़कर 17 हजार के पार पहुंच जाएगी. यह अस्पताल सरिता विहार, शालीमार बाग, सुल्तानपुरी, किराड़ी, रघुबीर नगर, जीटीबी अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में बनाए जाएंगे. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लगभग 10 हजार आईसीयू बेड हैं. नए 6836 बेड बढ़ाए जाने के बाद आईसीयू बेड की क्षमता में लगभग 70 फीसदी का इजाफा होगा.
यदि कोरोना की तीसरी लहर आती है, तो उस समय लोगों को इलाज में मदद मिलेगी. यदि कोरोना की लहर नहीं आती है, तो दिल्ली के लोगों के लिए स्थायी तौर पर 7000 नए बेड तैयार हो जाएंगे. शालीमार बाग में 1430 आईसीयू बेड, किराड़ी में 458 आईसीयू बेड, जीटीबी अस्पताल में 1912 आईसीयू बेड, रघुवीर नगर में 1565 आईसीयू बेड, सीएनबीसी में 2.32 610 आईसीयू बेड और सुल्तानपुरी में 525 आईसीयू बेड का अस्पताल बन रहा है. इन अस्पतालों में इमरजेंसी, ओपीडी, वार्ड सहित सभी सुविधाएं होंगी.
ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर होंगे अस्पताल
दिल्ली में ऑक्सीजन संकट पैदा न हो, इसके मद्देनजर केजरीवाल सरकार अपने सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बना रही है. दिल्ली सरकार, दिल्ली के अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट्स लगा रही है, ताकि अस्पतालों की बाहर से ऑक्सीजन लेने की निर्भरता कम हो सके और आपातकाल के दौरान दूसरे अस्पताल भी इन प्लांट्स से ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल करा सकें.
कोरोना की पिछली लहर के दौरान दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई थी और कई अस्पतालों को ऑक्सीजन की किल्लत से जूझना पड़ा था. भविष्य में किसी भी संकट के दौरान ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए केजरीवाल सरकार, दिल्ली को ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बना रही है. दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 77.80 मीट्रिक टन क्षमता वाले 73 पीएसए प्लांट लगाए जा रहे हैं. सभी संयंत्रों को नवंबर 2021 के अंत तक चालू कर दिया जाएगा.