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दिल्ली: सीएम केजरीवाल ने शुरू किया कैंपेन- 'युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध'

दिल्ली सीएम ने कहा कि आसपास के राज्यों में पराली जलाने से पूरी दिल्ली में धुआं फैलता है. किसान पराली जलाने को मजबूर हैं. ऐसे में दिल्ली को अपने स्तर पर प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए.

प्रदूषण कम करने के लिए केजरीवाल ने शुरू किया कैंपेन (फाइल फोटो) प्रदूषण कम करने के लिए केजरीवाल ने शुरू किया कैंपेन (फाइल फोटो)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST
  • सर्दी में प्रत्येक साल रहती है प्रदूषण की समस्या
  • सीएम केजरीवाल ने शुरू किया कैंपेन
  • कोरोना में जानलेवा हो सकता है प्रदूषण

दिल्ली में हर साल सर्दी के मौसम में स्‍मॉग और प्रदूषण की समस्या काफी बढ़ जाती है. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए सीएम केजरीवाल ने सोमवार से एक कैंपेन शुरू किया है. कैंपेन का नाम दिया है- 'युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध'. सीएम केजरीवाल ने डिजीटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि आज से हमलोग प्रदूषण के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे हैं. आज से 'युद्ध प्रदूषण के विरूद्ध' मुहिम शुरू कर रहे हैं. दिल्ली के अंदर जहां भी पराली होती है वहां पर दिल्ली सरकार घोल बनाकर छिड़काव कराएगी. दिल्ली सरकार पूसा संस्थान की निगरानी में घोल बनाने का काम शुरू कर रही है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि 'इस साल प्रदूषण की समस्या हमारे लिए जानलेवा हो सकती है क्योंकि पहले से ही हमलोग कोरोना संकट का सामना कर रहे हैं. हमने बहुत काम किया है, लेकिन हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिए. इसलिए इस बार हमें अपने बच्चों के लिए प्रदूषण कम करना होगा.

दिल्ली के सीएम ने कहा कि आसपास के राज्यों में पराली जलाने से पूरी दिल्ली में धुआं फैलता है. किसान पराली जलाने को मजबूर हैं, उन्हें भी धुआं झेलना पड़ता है. ऐसे में दिल्ली को अपने स्तर पर प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए. दिल्ली में ट्रैफिक और इंडस्ट्री बढ़ने के बावजूद पिछले 5 सालों में 25% प्रदूषण कम हुआ है. 

उन्होंने कहा कि अब दिल्ली में जनरेटर बन्द हो गए हैं. इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाला गंदा फ्यूल बन्द कर दिया गया है. कंस्ट्रक्शन साइट पर धूल और प्रदूषण पर कंट्रोल किया गया है. इस साल कोरोना की वजह से प्रदूषण दिल्ली में और भी जानलेवा हो सकता है. हमें प्रदूषण को बेहद कम करना होगा. कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर लंग्स पर होता है. ऐसे में प्रदूषण लोगों के लिए बेहद जानलेवा हो सकता है. इसलिए आज (सोमवार) से हमलोग "युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध" कैंपेन शुरू कर रहे हैं. 

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पर्यावरण पर निगरानी रखने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के वायु गुणवत्ता सूचकांक के आंकड़ों के सहारे इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि अक्टूबर के पहले सप्ताह के अंत तक दिल्ली में हवा की गुणवत्ता मध्यम से खराब स्तर की हो सकती है.

वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index - AQI) हवा की गुणवत्ता मापने का पैमाना है. अगर एक्यूआई 0-50 तक है तो इसका अर्थ है कि हवा की गुणवत्ता 'अच्छी' है. इसी तरह AQI 51-100 है तो इसका मतलब 'संतोषजनक', 101-200 का मतलब 'मध्यम', 201-400 का मतलब 'खराब', और 400 से अधिक का मतलब है हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' है. बहुत खराब श्रेणी की हवा इंसान के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है और सांस लेने में समस्या पैदा कर सकती है.


 

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