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केजरीवाल, LG में फिर ठनी: CM का आरोप, राज्यपाल काम नहीं करने दे रहे

केजरीवाल का आरोप है कि राज्यपाल एक चुनी हुई सरकार को ठीक तरीके से और पूरी आजादी से काम नहीं करने दे रहे हैं. केजरीवाल ने पत्र में लिखा कि क्या इसका मतलब यह है कि अब से आप चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर सीधे दिल्ली सरकार चलाएंगे? मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पत्र में लिखा कि महोदय, यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है और दिल्ली के लोग जानना चाहेंगे कि इस विषय पर आपकी क्या समझ है?

सीएम अरविंद केजरीवाल और एलजी सीएम अरविंद केजरीवाल और एलजी
अमित भारद्वाज/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:35 PM IST

दिल्ली के अरविंद केजरीवाल सरकार और एलजी विनय कुमार सक्सेना के बीच दरारें बढती जा रही हैं. एलजी वीके सक्सेना को सीएम केजरीवाल ने कड़े शब्दों में पत्र लिखा है. केजरीवाल का आरोप है कि राज्यपाल एक चुनी हुई सरकार को ठीक तरीके से और पूरी आजादी से काम नहीं करने दे रहे हैं. 

केजरीवाल ने एलजी सक्सेना से पत्र के जरिये पूछा है कि क्या अब कहीं भी किसी भी कानून या संविधान में जहां कहीं भी 'एलजी/प्रशासक' लिखा है, क्या एलजी चुनी हुई सरकार की अनदेखी करते हुए अपने विवेक से ईओ-नॉमिनी की शक्तियों का प्रयोग करेंगे?

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'दिल्ली सरकार चला रहे एलजी' 
उन्होंने पत्र में लिखा कि क्या इसका मतलब यह है कि अब से आप चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर सीधे दिल्ली सरकार चलाएंगे? केजरीवाल ने अपने पत्र में एलजी सक्सेना को कड़े शब्दों में लिखा कि अगर ऐसी स्थिति बनती है तो फिर भारत के प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्री अप्रासंगिक हो जाएंगे. क्योंकि सभी कानून और संविधान में राष्ट्रपति/ राज्यपाल शब्द का इस्तेमाल किया जाता है प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री का नहीं.

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पत्र में लिखा कि महोदय, यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है और दिल्ली के लोग जानना चाहेंगे कि इस विषय पर आपकी क्या समझ है? सीएम ने एमसीडी में नामित किए गए 10 सदस्यों के नामांकन को असंवैधानिक बताते हुए इस पर सवाल उठाए हैं. 

सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली एलजी को लिखे पत्र में कहा कि अगर 'प्रशासक' को राज्यपाल के रूप में परिभाषित किया गया तो पूरे भारत में निर्वाचित सरकारें अप्रासंगिक हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि एलजी मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं, अपनी मर्जी से समानांतर सरकार नहीं चला सकते.

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मनीष सिसोदिया ने भी उठाए सवाल
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एलजी का बयान कि वह दिल्ली के प्रशासक हैं, यह तानाशाही को दर्शाता है. एलजी का बयान संविधान की अल्प जानकारी, जनादेश की पूरी अवहेलना को दर्शाता है. सभी राज्य और केंद्र सरकारें राज्यपाल/राष्ट्रपति के नाम पर अपनी शक्तियों का प्रयोग करती हैं. प्रधानमंत्री भी अपनी शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति के नाम से करते हैं. यदि राष्ट्रपति स्वतंत्र निर्णय लेने लगे तो प्रधानमंत्री मोदी का कोई मतलब नहीं रह जाता है. संविधान के अनुच्छेद 239AA(3) के तहत दिल्ली में शक्तियों के बंटवारे के तहत एलजी के पास पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के परे कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है. पिछले 30 साल में डीएमसी एक्ट के तहत विभिन्न उपराज्यपालों ने प्रोटेम पीठासीन अधिकारी और एलडरमेन को चुनी हुई सरकार की सलाह पर नामित किया है.

'उपराज्यपाल को कम जानकारी'
दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि उन्हें एमसीडी अधिनियम सहित दिल्ली के विभिन्न अधिनियमों और विधियों के तहत सभी शक्तियों का सीधे प्रयोग करने का अधिकार है. क्योंकि वह प्रशासक हैं. उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह दर्शाता है दिल्ली में शासन की संवैधानिक योजना या संसदीय लोकतंत्र में शासन के सिद्धांतों का अल्प ज्ञान है. दिल्ली की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के जनादेश की पूरी तरह से अवहेलना है और तानाशाही है. 

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शक्तियों का गलत इस्तेमाल
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह एक स्थापित प्रथा है कि भारत में सभी कानूनों और कानूनों के तहत केंद्र-राज्य सरकारों की शक्तियों का प्रयोग निर्वाचित सरकारों द्वारा भारत के राष्ट्रपति या राज्यपालों के नाम पर किया जाता है. भारत के प्रधानमंत्री भी भारत के राष्ट्रपति के नाम के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हैं और बाद में प्रधानमंत्री के निर्णय से बाध्य होते हैं. यदि राष्ट्रपति अचानक स्वतंत्र निर्णय लेना शुरू कर दे क्योंकि उनके नाम से आदेश पारित किए जाते हैं तो इसका मतलब है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या किसी भी लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की कोई आवश्यकता नहीं है.

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा 30 साल पहले दिल्ली के संसदीय स्वरूप की स्थापना के बाद से दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 ("डीएमसी अधिनियम") की धारा 77 (ए) के तहत प्रो-टेम पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने और डीएमसी अधिनियम की धारा 3(3)(बी)(i) के तहत एलडरमेन को नामित करने के लिए विभिन्न उपराज्यपालों द्वारा केवल उस दिन की चुनी हुई सरकार की सहायता और सलाह पर कार्य किया गया. पिछले कार्यकाल में उप राज्यपाल अनिल बैजल सहित सभी ने इसी तरह कार्य किया. वर्तमान एलजी का तर्क है कि उनके पास डीएमसी अधिनियम के तहत एकतरफा रूप से सभी आदेशों को निर्धारित करने का पूर्ण अधिकार है. यह दर्शाता है कि उन्हें दिल्ली में शासन की संवैधानिक योजना के संबंध में निरक्षर और अज्ञानी लोगों द्वारा सलाह दी जा रही है.
 

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