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दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच कई अहम मुद्दों पर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया. दिल्ली में पोस्ट हुए अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े मसले को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट ने अन्य 5 मुद्दों पर फैसला साफ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मीडिया को संबोधित किया. केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान के खिलाफ बताया है.
अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली में कोई भ्रष्टाचार करता है तो उन्हें उसपर कार्रवाई करने के लिए बीजेपी के पास जाना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान और लोगों की अपेक्षाओं के खिलाफ है. केजरीवाल ने कहा कि इसकी चाबी दिल्ली की जनता के पास है.
उन्होंने कहा कि हमें अनशन करके दिल्ली के अधिकारों की लड़ाई लड़नी पड़ रही है. इंसाफ के लिए बीजेपी के पास जाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी कैबिनेट ने उपराज्यपाल के घर में बैठकर 10 दिन तक अनशन किया, फिर भी कोई फैसला नहीं हुआ.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम दिल्ली की जनता से अपील करते हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में वह दिल्ली की सभी 7 सीट आम आदमी पार्टी को दें, ताकि हम संसद में दबाव बना सकें और दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने के लिए हम पूरी लड़ाई लड़ेंगे. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम कोर्ट की इज्जत करते हैं, लेकिन ये फैसला दिल्ली वालों के साथ अन्याय है. हम लोग 4 साल से ये सब भुगत रहे हैं.
2019 में बीजेपी को हराना जरूरी
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 2019 में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को हराना काफी जरूरी है, देश के सामने एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ पार्टियों का वोट ना बंटे और इसका फायदा बीजेपी को ना मिले, इसके लिए विपक्षी पार्टियों को सोचना होगा.
उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में जो पार्टी मजबूत हो उसे बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए. दिल्ली में कांग्रेस से गठबंधन को लेकर भी अरविंद केजरीवाल ने भी बड़ा बयान दिया, उन्होंने कहा कि अभी कांग्रेस ने गठबंधन को लेकर मना कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 6 अहम मुद्दों पर फैसला सुनाया. हालांकि, ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दो जजों की पीठ में सहमति नहीं बन पाई, इसलिए इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ACB और कमीशन ऑफ इन्क्वायरी का अधिकार केंद्र सरकार को दिया है. जबकि, बिजली बोर्ड, जमीन के सर्किल रेट, सरकारी वकील की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया गया है.