
दिल्ली शराब मामले में ईडी का एक्शन जारी है. जांच एजेंसी ने अरबिंदो फार्मा के प्रबंध निदेशक (MD) शरथ रेड्डी को गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही ईडी ने पेरनोड रिकार्ड के अधिकारी विनय बाबू को भी गिरफ्तार कर लिया है.
इस मामले में सीबीआई ने अबतक चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इसमें आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और ऑनली मच लाउडर के पूर्व सीईओ विजय नायर, हैदराबाद के कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली, अरबिंदो फार्मा के प्रबंध निदेशक (MD) शरथ रेड्डी और पेरनोड रिकार्ड के अधिकारी विनय बाबू को गिरफ्तार किया जा चुका है.
विजय नायर की हुई थी गिरफ्तारी
दिल्ली शराब घोटाला मामले में बीते 27 सितंबर को सीबीआई ने विजय नायर को गिरफ्तार किया था. वह एक एंटरटेनमेंट और इवेंट मीडिया कंपनी के पूर्व सीईओ हैं. उनके ठिकानों पर ईडी ने भी छापेमारी की थी. नायर को इस कथित घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा है.
16 सितंबर को 40 ठिकानों पर रेड
इससे पहले बीते 16 सितंबर को ईडी ने 40 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इसमें केवल हैदराबाद में 25 ठिकानों पर रेड की थी. इसके अलावा शराब नीति घोटाले में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन से भी ईडी पूछताछ कर चुकी है.
6 सितंबर को 35 जगहों पर छापेमारी
इससे पहले बीते 6 सितंबर को ईडी ने दिल्ली समेत कई राज्यों में 35 ठिकानों पर छापेमारी की थी. ईडी ने दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, लखनऊ, हैदराबाद, मुंबई, बेंगलुरु और पंजाब के शहरों में भी रेड की थी. जांच एजेंसी के निशाने पर शराब कारोबारी थे. ईडी की छापेमारी में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का घर शामिल नहीं था.
घोटाले के मुख्य किरदार कौन?
दिल्ली की शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में सीबीआई ने अगस्त में FIR दर्ज की थी. इस मामले में मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया है. सीबीआई ने आरोपियों पर आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. इनमें तीन पूर्व सरकारी अफसर एजी कृष्णा (पूर्व एक्साइज कमिश्नर), आनंद तिवारी (पूर्व डिप्टी एक्साइज कमिश्नर) और पंकज भटनागर (पूर्व असिस्टेंट एक्साइज कमिश्नर) शामिल हैं.
इसके अलावा अमित अरोड़ा (बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर), दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे को भी आरोपी बनाया गया है. इन तीनों को सिसोदिया का करीबी माना जाता है. आरोप है कि तीनों ने आरोपी सरकारी अफसरों की मदद से शराब कारोबारियों से पैसा इकट्ठा किया और उसे दूसरी जगह डायवर्ट किया.