
दिल्ली के तुगलकाबाद में रविदास मंदिर तोड़े जाने के खिलाफ दिल्ली में बुधवार को दलित समाज के लोगों ने विशाल प्रदर्शन किया. इस आंदोलन में दलित समुदाय के नेता व भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर और दिल्ली सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी मौजूद रहे. समाचार एजेंसियों के मुताबिक बुधवार को नीले गमछों, नीले झंडों और नीले बैनर-पोस्टर लेकर हजारों की संख्या में लोग दिल्ली के रामलीला मैदान में पहुंचे और रविदास मंदिर तोड़े जाने का विरोध किया. हाथों में लाठी लिए ये लोग जम भीम और जय गुरु रविदास के नारे लगा रहे थे.
इस विरोध प्रदर्शन में दूसरे राज्यों के दलित समुदाय के लोग भी शामिल हुए. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से जुड़े सैकड़ों लोग इस कार्यक्रम में पहुंचे और रविदास मंदिर को फिर से बनाने की मांग की. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि दलित समुदाय की भावनाओं का ख्याल करते हुए इस मंदिर को फिर से बनाया जाना चाहिए. इस मंदिर को तोड़े जाने के खिलाफ पंजाब में भी प्रदर्शन हुआ था, 13 अगस्त को दलित समुदाय ने यहां बंद बुलाया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के झंडेवालान से लेकर रामलीला मैदान तक सड़क जनसैलाब से भरी हुई थी. नीली टोपियां पहने, हाथों में नीला झंडा लिए ये प्रदर्शनकारी झंडेवालान में अंबेडकर भवन के सामने जमा हुए और यहां से रामलीला मैदान के लिए कूच किया. भीड़ की वजह से दिल्ली में कई जगहों पर ट्रैफिक प्रभावित रहा. ये सभी लोग अखिल भारतीय संत शिरोमणि गुरु रविदास मंदिर संयुक्त संरक्षण समिति के बैनर तले इकट्ठा हुए थे.
बता दें कि दिल्ली के तुगलकाबाद के जहांपनाह जंगल में स्थित संत रविदास के मंदिर को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 10 अगस्त को तोड़ दिया था. दिल्ली समेत आस-पास के दलित समुदाय के लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया था. इससे पहले 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि गुरु रविदास जयंती समारोह समिति ने जंगल में स्थित इस स्थान को खाली न कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है.
इस मामले पर सोमवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. तब अदालत ने कहा था कि गुरु रविदास मंदिर पर कोर्ट के फैसले को 'राजनीतिक रंग' में नहीं देखना चाहिए. जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमआर शाह की एक खंडपीठ ने पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की राज्य सरकारों को कहा था कि इस मामले को सियासी रंग नहीं दिया जाना चाहिए. अदालत ने कहा था कि हर चीज पर राजनीतिक नजरिया नहीं हो सकता. हमारे आदेश को राजनीति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा था कि कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाले के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए.