
Delhi MCD Election Result: दिल्ली नगर निकाय (MCD) चुनावों के नतीजे आज शाम तक जारी हो जाएंगे. एमसीडी की 250 सीटों पर 4 दिसंबर को मतदान हुआ था. कुल 1349 उम्मीदवार ने इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. AAP बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है. उसने अब तक 131 सीटें जीत ली हैं जबकि बीजेपी के खाते में 99 सीटें गई हैं.
इस बीच बीजेपी और आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपना-अपना मेयर बनाने का दावा कर रहे हैं. बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि इंतजार कीजिए. बीजेपी को जीत मिलेगी. मेयर बीजेपी का ही बनेगा. नतीजे आने दीजिए. केजरीवाल को हम 100 सीटों से नीचे समेट देंगे. वहीं बीजेपी नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने भी कहा कि दिल्ली में फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी का मेयर बनेगा.
वहीं आप नेता संजय सिंह ने दावा किया कि बीजेपी एमसीडी चुनाव हार गई है. आप का ही मेयर इस बार बनेगा. इसके बाद उन्होंने कहा- दिल्ली की जनता ने देश को संदेश दिया है कि उनके बेटे का उत्पीड़न करोगे तो वोट की ताकत से जवाब दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि BJP खोखा पार्टी है. इन तमाम आरोपों के बीच अब यह सवाल उठ रहा है कि एमसीडी में हार के बावजूद किस आधार पर बीजेपी का मेयर चुना जा सकता है.
पार्षद चुनाव में लागू नहीं होता दल-बदल कानून
एमसीडी चुनाव में AAP बढ़ते बनाए हुए है, लेकिन उनके बाद भी बीजेपी अपना मेयर बनाने का दावा कर रही है, इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि पार्षदों के ऊपर दलबदल का कानून लागू नहीं होता है. बीजेपी के इस दावा से यह संकेत मिल रहा है कि मेयर के चुनाव के समय क्रॉस वोटिंग हो सकती है.
दिल्ली में एक साल का होता है मेयर का कार्यकाल
जानकारी के मुताबिक एमसीडी में जो पार्टी भी जीत कर आएगी, उसका कार्यकाल 5 साल तक रहेगा लेकिन उसका पार्षद लगातार पांच साल तक मेयर नहीं रह सकता है. दिल्ली में मेयर का कार्यकाल सिर्फ एक साल के लिए ही होता है. वहीं मेयर का चुनाव भी सीधे तौर पर नहीं होता है. जीतकर आए पार्षद ही हर साल नया मेयर चुनते हैं. एमसीडी चुनाव में जिस पार्टी को बहुमत मिलता है, उसका कार्यकाल 5 साल का होता है. जबकि मेयर का कार्यकाल एक साल का ही होता है.
पहले साल महिला, तीसरे साल SC जाति का बनेगा मेयर
दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक पांच साल के इस कार्यकाल में कोई भी पार्षद मेयर नहीं बन सकता है. इसके लिए रिजर्वेशन नियम का पालन करना पड़ेगा. नियमों के तहत पहला साल महिला पार्षद ही मेयर बन सकेगी जबकि तीसरा साल अनुसूचित जाति का कोई पार्षद ही इस पर के लिए दावेदारी कर सकता है. इसके अलावा बचे तीन वर्ष अनारक्षित होंगे यानी इन वर्षों में कोई भी पार्षद इस पद के लिए दावेदारी कर सकेगा.
दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक एमसीडी चुनाव के नतीजे आने के बाद जब सदन की पहली बैठक होती है, तब मेयर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है. चुने गए पार्षदों में से कुछ पार्षद मेयर पद के लिए नामांकन करते हैं और फिर पार्षद ही मेयर का चुनाव करते हैं.
एग्जिट पोल में AAP को मिला है बहुमत
इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल्स के मुताबिक, दिल्ली एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को 149 से 171 सीटें मिलने का अनुमान है. तो वहीं भाजपा को 69-91 सीटें मिल सकती हैं साथ ही कांग्रेस को सिर्फ 3-7 सीटें मिलती दिख रही हैं. इसके अलावा अन्य के खाते में 5-9 सीटें जाने का अनुमान है. एग्जिट पोल के मुताबिक, MCD चुनावों में BJP को 35% वोट मिले तो वहीं केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 43% वोट मिलने का अनुमान है. इसके अलावा कांग्रेस को 10% वोट मिलने की संभावना है.
BJP-AAP ने सभी सीटों पर उतरे हैं प्रत्याशी
MCD चुनाव 2022 में 382 निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा. बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने सभी 250 सीटों पर अपने-अपने कैंडिडेट उतारे, जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 247 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे. इसके अलावा जेडीयू के 23 उम्मीदवार भी मैदान में थे. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी 15 कैंडिडेट उतारे थे. वहीं बसपा ने 174, इंडियन मुस्लिम लीग ने 12, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने 3, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने 4, NCP ने 29 और SP, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने एक-एक सीट पर प्रत्याशी मैदान में उतारे.
पिछली बार क्या रहे थे नतीजे?
दिल्ली नगर निगम में 15 साल से बीजेपी का कब्जा रहा है. अब तक दिल्ली में तीन नगर निगम हुआ करती थीं. इनमें नॉर्थ दिल्ली (NDMC), पूर्वी दिल्ली (EDMC) और साउथ दिल्ली (SDMC) नगर निगम थीं. पिछली बार 272 वार्ड में से 181 पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. जबकि आम आदमी पार्टी ने 48 और कांग्रेस ने 27 वार्ड जीते थे.