
भाजपा नेता ने गुरुवार को मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ मानहानि के मामले को खारिज करने के आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अपनी याचिका में प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि मानहानि की शिकायत को खारिज करते हुए और मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी समन को रद्द करते हुए विशेष न्यायाधीश ने कानून में अपनी शक्ति के दायरे से बाहर जाकर काम किया.
पीटीआई के मुताबिक याचिका में आरोप लगाया गया है कि विशेष न्यायाधीश ने राजनीतिक बहस के समान राजनीतिक दुस्साहस किया है, जिसमें यह निर्धारित करने का प्रयास किया गया है कि कौन बड़ा/छोटा राजनीतिक व्यक्ति है, जो कि पुनरीक्षण कार्यवाही में निर्णय का दायरा नहीं था और न ही कभी था. विशेष न्यायाधीश ने शिकायतकर्ता को अपने आरोपों को सही साबित करने के लिए सुनवाई की अनुमति ही नहीं दी.
आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि इसमें कई कानूनी खामियां हैं.
इसमें कहा गया है, "विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए मामले) ने आपराधिक शिकायत का उल्लंघन किया है और ऐसे मुद्दों पर विचार किया है जो मामले के लिए बहुत कम महत्व रखते हैं."
दिल्ली भाजपा इकाई के पूर्व मीडिया प्रमुख और प्रवक्ता की शिकायत के अनुसार, आतिशी ने 27 जनवरी और उसके बाद 2 अप्रैल, 2024 को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के खिलाफ निराधार आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि भाजपा आप के विधायकों से संपर्क कर रही है और उन्हें पाला बदलने के लिए 20-25 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश कर रही है.
बता दें कि शिकायत में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी आरोपी बनाया गया था, हालांकि, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 28 मई, 2024 को पारित आदेश में उनके खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार नहीं पाया. हालांकि, आतिशी ने अपने खिलाफ जारी समन को चुनौती देने के लिए एक पुनरीक्षण याचिका दायर करके विशेष न्यायाधीश का रुख किया.
28 जनवरी को, विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने माना कि आतिशी द्वारा लगाए गए आरोप राजनीतिक भ्रष्टाचार से संबंधित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग हैं, न कि मानहानि. विशेष न्यायाधीश ने कहा कि समन से पहले के साक्ष्य आतिशी को आरोपी के रूप में बुलाने के लिए पर्याप्त आधार प्रस्तुत नहीं करते हैं.
अदालत ने कहा कि आतिशी एक "व्हिसलब्लोअर" की प्रकृति की हैं और उन्हें भाजपा को बदनाम करने के लिए काम करने के रूप में नहीं माना जा सकता है और कपूर की शिकायत "आपराधिक जांच को विफल करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ जानने के अधिकार को दबाने का प्रयास है".
न्यायाधीश ने कहा, "ट्वीट और प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आतिशी द्वारा लगाए गए आरोप आपराधिक अपराध के होने का खुलासा करने की प्रकृति के हैं और जांच के लायक हैं. आतिशी एक व्हिसलब्लोअर की प्रकृति की हैं और उन्हें भाजपा को बदनाम करने के लिए काम करने के रूप में नहीं माना जा सकता है."