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वित्त मंत्री की किताब का हुआ विमोचन, अमित शाह ने जेटली को बताया कुशल रणनीतिकार

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अरुण जेटली को कुशल रणनीतिकार बताते हुए कहा कि गुजरात में भी उन्होंने जेटली के कामकाज को देखा है. शाह ने ये भी कहा विपक्ष में रहते हुए हुए या फिर मंत्री के रूप में उन्होंने जिस तरह से पार्टी की लाइन को संसद के सामने रखते हैं वो काबिले तारीफ हैं.

अरुण जेटली अरुण जेटली
अंजलि कर्मकार/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 3:53 AM IST

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के लेखों और भाषणों की संकलित किताब 'अंधेरे से उजाले की ओर' का विमोचन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और राज्यसभा सांसद स्वप्न दास गुप्ता ने किया. किताब में अरुण जेटली के उन लेखों और भाषणों का संकलन है, जो उन्होंने यूपीए सरकार में राज्यसभा में नेता विपक्ष रहते हुए लिखे हैं.

जेटली एक कुशल रणनीतिकार
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अरुण जेटली को कुशल रणनीतिकार बताते हुए कहा कि गुजरात में भी उन्होंने जेटली के कामकाज को देखा है. शाह ने ये भी कहा विपक्ष में रहते हुए हुए या फिर मंत्री के रूप में उन्होंने जिस तरह से पार्टी की लाइन को संसद के सामने रखते हैं वो काबिले तारीफ हैं. उन्होंने कहा कि पिछले वर्षो में जेटली ने भ्रष्टाचार, घोटाले, कुछ नीतिगत फैसले, न्यायपालिका के फैसलों और मीडिया की भूमिका तक पर भी लेख लिखे थे. उनकी किताब में छपे लेखों से जनता को ये जरूर पता चलेगा की किस तरह पिछले वर्षो में देश अंधकार से उजाले की ओर बढ़ा है.

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वैचारिक संकल्प के कारण जेल भी गए जेटली
इस मौके पर स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि कुछ लोग अरुण जेटली की राजनीतिक दृढ़ता और वैचारिक संकल्प पर समय-समय पर सवाल उठाते रहते हैं. मैं उन लोगों को बताना चाहता हूं कि अरुण जेटली उन लोगों में से हैं, जो अपनी वैचारिक संकल्प के लिए आपातकाल के पूरे समय जेल में बंद रहे.

जेटली ने ताजा की पुरानी यादें
अरुण जेटली ने पुरानी बातों को याद करते हुए कहा, '17 वर्ष की उम्र से ही छात्र राजनीति में रहते हुए उन्होंने बड़े नेताओं के साथ काम करते हुए बहुत कुछ सीखा है. उसी कारण उन्हें लेखन में बहुत मदद मिली. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि आज तक किसी ऐसे किसी शब्द का उपयोग नहीं किया जिससे पार्टी को परेशानी हो. उन्होंने कहा की आज भारतीय राजनीति में विनोद और हास्य व्यंग की कमी है. मैं आशा करता हूं कि जल्दी ही भारतीय राजनीती में विनोद और हास्य व्यंग वापस आ जाएगा.'

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