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नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) को लोकसभा चुनाव (2024) से पहले लागू किया जा सकता है. केंद्र सरकार के सीनियर सरकारी अफसर ने बताया कि 'नागरिकता संशोधन कानून 2019' के नियमों को लोकसभा चुनाव से काफी पहले नोटिफाई कर लिया जाएगा.
अधिकारी ने यह भी बताया कि जल्द ही सरकार सीएए के नियम जारी करने जा रही है. एक बार नियम जारी होने के बाद कानून लागू किया जा सकता है, जिससे पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सके. चार साल से ज्यादा की देरी के बाद अब सीएए के कार्यान्वयन के लिए नियम जरूरी हैं.
कब जारी होगा नोटिफिकेशन?
चर्चा के दौरान वरिष्ठ सरकारी अधिकारी से पूछा गया कि अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने की संभावना है, क्या इससे पहले CAA को नोटिफाई किया जाएगा. इसके जवाब में अधिकारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से काफी पहले ऐसा किया जाएगा.
ऑनलाइन होगी पूरी प्रक्रिया
सरकारी अधिकारी ने आगे कहा कि नियमों के साथ-साथ ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार हैं. पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. आवेदकों को वह साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था. सरकारी अफसर ने कहा कि आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे.
2019 में पास हुआ था कानून
दरअसल, इस कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी. बता दें कि दिसंबर 2019 में संसद से सीएए पारित किया गया था. कानून पारित होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.
अमित शाह ने दिया बड़ा बयान
हाल ही में 27 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता. यह देश का कानून है. उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था.
CAA लागू करना BJP की प्रतिबद्धता
कोलकाता में पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा था कि सीएए को लागू करना भाजपा की प्रतिबद्धता है. दरअसल, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सीएए का विरोध कर रही है. सीएए को लागू करने का वादा पश्चिम बंगाल में पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था.
2020 से लिया जा रहा एक्सटेंशन
बता दें कि संसदीय प्रक्रियाओं की नियमावली के मुताबिक किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की सहमति के 6 महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए. ऐसा ना होने पर लोकसभा और राज्यसभा में अधीनस्थ विधान समितियों से विस्तार की मांग की जानी चाहिए. सीएए के केस में 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समितियों से नियमित अंतराल में एक्सटेंशन लेता रहा है.
9 राज्यों में DM को दी गई ये ताकतें
पिछले दो साल में 9 राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं.
इन राज्यों में दी गई नागरिकता
गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के इन गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई है. जिन 9 राज्यों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी गई है, वे गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र हैं.