
केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने मंगलवार को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बैंक लॉकर की जांच की. गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर 4 की पंजाब नेशनल बैंक में मनीष सिसोदिया का बैंक लॉकर है. सीबीआई की टीम ने मनीष सिसोदिया और उनकी पत्नी की मौजूदगी में बैंक लॉकर की जांच की. बताया जा रहा है कि ये बैंक लॉकर मनीष सिसोदिया की पत्नी सीमा सिसोदिया का है. सीबीआई ने 19 अगस्त को रेड के दौरान लॉकर की चाबी को जब्त कर लिया था.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि जन्माष्टमी के दिन मेरे घर पर सीबीआई की रेड की गई थी. उस दौरान मेरी पत्नी के लॉकर की चाबी भी ले ली गई थी. आज सीबीआई उस लॉकर को खोलने आई थी उन्होंने हमें भी बुलाया था. जैसे हमारे घर में कुछ नहीं मिला ऐसे ही हमारे लॉकर में कुछ नहीं मिला. बस लॉकर में 70 से 80 हजार की ज्वेलरी मिली है.
सीबीआई पर दबाव
सिसोदिया ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने सीबीआई भेज कर मेरे लॉकर की जांच कराई, मेरे घर की जांच कराई, यही इस बात का सबूत है कि मैं और मेरा परिवार पूरी तरह से पाक साफ है. कहीं एक पैसे का सवाल नहीं है. मुझे सच्चाई पर भरोसा है, ईश्वर पर भरोसा है. सीबीआई के सभी ऑफिसर ने बहुत अच्छे से व्यवहार किया हमने भी पूरा कॉर्पोरेट किया. सीबीआई के ऊपर दबाव है. उन पर दबाव है कि किसी भी तरह से मनीष सिसोदियो को दो तीन महीने के लिए जेल में डालो.
शराब नीति मामले में जांच कर रही सीबीआई
दिल्ली की चर्चित शराब नीति में गड़बड़ी के मामले में सीबीआई एक्शन में है. सीबीआई ने इससे पहले अगस्त में ही दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के आवास पर छापेमारी की थी. इतना ही नहीं सीबीआई ने इस मामले में पूर्व एक्साइज कमिश्नर अरावा गोपी कृष्णना के आवास समेत 7 राज्यों के 21 ठिकानों पर रेड डाली थी.
एलजी ने की थी सीबीआई जांच की सिफारिश
दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद यह कदम उठाया था. इस रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं. दरअसल, दिल्ली का एक्साइज विभाग मनीष सिसोदिया के अधीन है.
क्यों सवालों में है केजरीवाल की शराब नीति?
नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी के आरोप हैं. इसके जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप है. लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई. टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस नीति के जरिए कोरोना के बहाने लाइसेंस की फीस माफी की गई. रिश्वत के बदले शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया गया. आरोप है कि नई आबकारी नीति के तहत उठाए गए कदमों से राजस्व को भारी नुकसान पहुंचा है और यह नई नीति शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लाई गई.