
राजधानी दिल्ली में सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की परियोजना में अड़ंगा लगाए जाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विरोधियों पर हमलावर हो गए हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में लाखों सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का वादा किया था. इसी साल जब दिल्ली सरकार ने सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने के लिए टेंडर जारी किया.
इसके बाद उपराज्यपाल ने पीडब्ल्यूडी सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर CCTV कैमरा लगाए जाने, उसकी निगरानी और उसके रखरखाव से संबंधित एक मसौदा तैयार करने को कहा. उपराज्यपाल ने हवाला दिया कि सीसीटीवी कैमरा कानून व्यवस्था के अधीन आता है और ड्राफ्ट में सिफारिश की गई कि सीसीटीवी कैमरा सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाने से पहले पुलिस की अनुमति और लाइसेंस आवश्यक है.
हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सभी आरडब्ल्यूए की बैठक बुलाई और सबके सामने इस मसौदे पर जनता की राय लेकर उसे फाड़ कर फेंक दिया. केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का आरोप है कि बीजेपी और कांग्रेस मिलकर दिल्ली में सीसीटीवी लगाए जाने की परियोजना में अड़ंगा लगा रहे हैं. केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाते हुए लिखा, "अगर दिल्ली में CCTV कैमरे लग गए तो भाजपा और कांग्रेस को चुनाव में दारू और पैसा बांटना मुश्किल हो जाएगा.
केजरीवाल ने लिखा कि, "कल एक भाजपा नेता ने बताया की LG को कहा गया है कि किसी भी तरह लोकसभा चुनाव के पहले CCTV कैमरे मत लगने दो." दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सवाल पूछा कि, "भाजपा और कांग्रेस बताएं कि वो CCTV कैमरों का विरोध क्यों कर रहे हैं?"
राशन की फ्री होम डिलीवरी और CCTV लगाए जाने की परियोजना को लेकर केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच तनातनी की स्थिति बरकरार है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनी हुई सरकार के हक में फैसला आने के बावजूद भी सर्विस विभाग को लेकर सरकार और उपराज्यपाल के बीच खींचतान जारी है.
दरअसल 2019 के चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल अगले कुछ महीनों में अपने सबसे ज्यादा महत्वकांक्षी परियोजनाओं को लागू करके गवर्नेंस के मॉडल पर चुनाव में उतरना चाहते हैं. साथ ही विरोधियों पर हमलावर होते हुए केजरीवाल जनता के बीच विक्टिम कार्ड खेलते हुए यह संदेश देना चाहते हैं कि दिल्ली में जनता के हित की उनकी योजनाओं को रोका जा रहा है.