
सूर्य उपासना का महापर्व छठ का आगाज नहाय-खाय के साथ हो गया है. चार दिन तक चलने वाले इस आस्था के महापर्व को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है. आस्था और उत्साह के इस पर्व के पहले दिन दिल्ली के घाटों में लोग स्नान करके पूजा अर्चना करते नज़र आए. लेकिन पहले ही दिन घाटों के किनारे पसरी गन्दगी ने लोगों को निराश किया.
दिल्ली के ITO ब्रिज पर यमुना के दोनों किनारे छठ घाट बनाया जाता है. दिल्ली का पॉश तबक़ा और ईस्ट दिल्ली के ज़्यादातर श्रद्धालु ITO घाट पर ही छठ पूजा के लिए जाते हैं लेकिन नहाय-खाये वाले दिन भी छठ घाट पर यमुना का किनारे गन्दगी पसरी हुई थी. यमुना का पानी काला और बदबूदार होने की वजह से कुछ व्रती बिना स्नान वापस चले गए.
गुड़गांव से हर साल यमुना स्नान करने दिल्ली आने वाला मनोज झा का परिवार इस साल यमुना के पानी को देखकर घाट से बेरंग वापस चला गया. मनोज झा के मुताबिक़ उनके माता-पिता के साथ वो बचपन से यमुना स्नान में लिए दिल्ली आते थे, पिछले साल भी ITO घाट पर बेहतर व्यवस्था थी, लेकिन इस साल ऐसा लग रहा है की सिर्फ़ पंडाल ही सजाए गए हैं, यमुना का पानी इतना काला देखकर हिम्मत नहीं हुई की माता जी को स्नान कराएं.
कुछ व्रती ऐसे भी थे जिन्होंने आस्था के आगे सेहत को नज़र अन्दाज़ करते हुए कहा कि छठ पूजा की विधि का पूरी तरह से पालन करना है इसीलिए घाट पर आए हैं हालांकि पानी गंदा है लेकिन क्या करें मजबूरी है. मुख्य पूजा के दिन इसी पानी में घंटो खड़ा रहना है इसलिए थोड़ा चिंता होती है कि कहीं कोई बीमारी ना हो जाये. छठी मैया भी ऐसे पूजा से कैसे ख़ुश होगी पता नहीं. बस प्रार्थना है की छठी मैया हमारा ध्यान रखेंगी.
श्रद्धालुओं की आस्था का कोई तर्क नहीं है लेकिन छठ समिति के लोग भी दिल्ली सरकार के इंतज़ाम से संतुष्ट नहीं है. आईटीओ छठ पूजा समिति के उपाध्यक्ष आशीष पांडेय ने भी छठ पूजा की तैयारियों में हो रही देरी पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा, 'केंद्र और दिल्ली सरकार यमुना सफ़ाई अभियान पर करोड़ों ख़र्च करते हैं लेकिन साल दर साल यमुना साफ़ होने के बजाए और गन्दी होती जा रही है. इसीलिए सरकार को चाहिए की कम से कम कुछ ऐसा करे की पानी साफ़ हो ताकि छठ पर्व की पवित्र परम्परा बनी रहे.'
आपको बता दें की कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था के इस पर्व में व्रती नहाय खाये के दिन सुबह नहा कर चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी खाते हैं. इसके बाद बुधवार को खरना होगा. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास के साथ प्रसाद बनाते हैं और शाम को पूजा-अर्चना के बाद खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण करते हैं.
गुरुवार को 24 घंटे उपवास के बाद शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, इसके बाद शुक्रवार को व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर इस महापर्व का समापन करेंगे. मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं, जो बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं. इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है.