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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: नकली होलोग्राम मामले में ईडी को झटका, यूपी STF की कार्रवाई पर SC ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से संबंधित नकली होलोग्राम मामले में नोएडा में दर्ज एफआईआर की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक उप निदेशक (डिप्टी डायरेक्टर) की शिकायत पर पिछले साल जुलाई में ग्रेटर नोएडा के कासना पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)
सुमी राजाप्पन
  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 2,000 करोड़ रुपये के छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से संबंधित उत्तर प्रदेश राज्य टास्क फोर्स (STF) द्वारा दर्ज FIR में कार्रवाई पर रोक लगा दी है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक उप निदेशक (डिप्टी डायरेक्टर) की शिकायत पर पिछले साल जुलाई में ग्रेटर नोएडा के कासना पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी.

जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ नोएडा स्थित होलोग्राम निर्माता विधु गुप्ता द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी. अब इस मामले पर सुनवाई के लिए अदालत ने 20 सितंबर, 2024 की तारीख मुकर्रर की है. विधु को पिछले साल मई में उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था.

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इससे पहले विधु गुप्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में नोएडा में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन उनकी याचिका को बेकार माना गया. 

एफआईआर के मुताबिक, विधु गुप्ता की प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स (पीएचएसएफ) को अवैध रूप से छत्तीसगढ़ के उत्पाद शुल्क विभाग को होलोग्राम की आपूर्ति करने का टेंडर दिया गया था.

'टेंडर के लिए इलेजिबल नहीं थी कंपनी'

ईडी के एक अधिकारी ने एफआईआर में कहा था कि "कंपनी टेंडर प्रोसेस में भाग लेने के लिए इलेजिबल ही नहीं थी, लेकिन कंपनी के मालिकों के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ अधिकारियों जैसे अरुण पति त्रिपाठी (स्पेशल सेक्रेटरी एक्साइज), निरंजन दास आईएएस (एक्साइज आयुक्त) और अनिल टुटेजा आईएएस ने टेंडर की शर्तों को बदला और मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड नोएडा को अवैध रूप से टेंडर आवंटित किया गया.

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मनी लॉन्ड्रिंग का मामला रद्द

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले से संबंधित मामले में आरोपियों को बड़ी राहत दे हुए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायत आयकर अधिनियम के अपराध पर आधारित थी, यह PMLA के अनुसार शेड्यूल अपराध नहीं है. जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि यह कोई विधेय अपराध नहीं है, इसलिए अपराध की आय के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी नहीं बनता है. 

SC ने कहा कि संज्ञान लेने से पहले, विशेष अदालत को इस सवाल पर सोचना होगा कि क्या प्रथम दृष्टया PMLA की धारा 3 के तहत अपराध बनता है.

केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, होलोग्राम यह सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षा उपाय था कि राज्य में प्रामाणिक शराब बेची जाए. हालांकि, नोएडा में डुप्लिकेट होलोग्राम के निर्माण में PHSF की कार्रवाई ने शराब सिंडिकेट के लिए ग्राहकों को धोखा देने के लिए उसी सुरक्षा उपाय का इस्तेमाल करने का रास्ता बनाया.

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