
दिल्ली का छावला गैंगरेप केस फिर से चर्चा में है. छावला में 19 साल की लड़की से गैंगरेप के मामले में दोषी करार दिए गए सजायाफ्ता कैदियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने सजायाफ्ता कैदियों को बरी कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सजायाफ्ता तीन कैदियों को रिहा करने के भी आदेश दिए थे.
आरोपियों की रिहाई के बाद अब पीड़िता के परिवार की सुरक्षा को लेकर चर्चा छिड़ गई है. पीड़ित परिवार ने एक NGO के माध्यम से सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस का दरवाजा खटखटाया है. पीड़िता के परिजनों ने डिप्टी पुलिस कमिश्नर से मुलाकात कर सुरक्षा की गुहार लगाई है. पीड़िता के परिजनों ने दिल्ली पुलिस को ये जानकारी दी है कि उन्हें राहुल, रवि और अनिल से खतरा है.
पीड़िता के परिजनों की अर्जी पर दिल्ली पुलिस ने कहा है कि थ्रेट असेसमेंट किया जा रहा है. थ्रेट असेसमेंट के बाद ही पीड़िता के परिजनों को सुरक्षा देने या न देने को लेकर फैसला लिया जाएगा. गौरतलब है कि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी पीड़ित परिवार की सुरक्षा को लेकर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.
दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर पीड़िता के परिवार को उच्च स्तरीय सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए थे. दिल्ली महिला आयोग की ओर से दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए जाने के बाद अब पीड़िता के परिजनों ने भी एक एनजीओ के जरिए सुरक्षा की मांग कर दी है.
क्या है पूरा मामला
साल 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में 19 साल की एक लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था. युवती के साथ गैंगरेप के बाद उसकी आंखों में तेजाब डाला गया था और गुत्पांगों में कांच की बोतल डालने के साथ ही उसे सिगरेट और लोहे की रॉड से जलाया भी गया था. इस मामले में युवती के तीन पड़ोसियों पर आरोप लगा था. आरोपियों को साल 2014 में निचली अदालत ने दोषी करार दिया और उन्हें मौत की सजा सुना दी.
निचली अदालत के फैसले को सजायाफ्ता कैदियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस मामले को दुर्लभ केस बताया और निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच और ट्रायल को लेकर नाराजगी जताई. कोर्ट ने अपर्याप्त सबूत और अनुचित जांच का हवाला देते हुए इस मामले में सजायाफ्ता तीनों कैदियों को बरी कर दिया और रिहा करने के आदेश दिए. तीनों आरोपी रिहा हो चुके हैं जिसके बाद अब पीड़िता के परिवार को अपनी जान की चिंता सता रही है.