
मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने एमसीडी को विधानसभा चुनाव की तैयारियां करने के लिए कहा तो दिल्ली में विधानसभा चुनाव पहले कराए जाने के कयास लगाए जाने लगे हैं. इसकी वजह है कि दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल तो अगले साल फरवरी में खत्म हो रहा है, यानि चुनाव होने में अभी छह महीने बचे हैं और दिल्ली में अब तक चुनाव की तैयारी छह-सात माह पहले नहीं हुई है.
दूसरी वजह साल के अंत में महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड व जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव होने हैं तो क्या दिल्ली में भी विधानसभा के चुनाव इन राज्यों के साथ हो सकते हैं? तीसरी वजह अगले साल फरवरी महीने में दिल्ली विधानसभा के अलावा किसी और राज्य का विधानसभा चुनाव होने का तय नहीं है. इन्हीं तीन वजहों से दिल्ली विधानसभा के चुनाव वक्त से पहले हो सकते हैं इस कयास को बल मिल रहा है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में एमसीडी की भूमिका
मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने एमसीडी को विधानसभा चुनाव विधानसभा चुनाव के लिए एमसीडी को नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का आदेश तो दिया ही है तो एमसीडी सूत्रों का कहना है कि कर्मचारियों को चुनाव संबंधी ट्रेनिंग देने का निर्देश भी मिल गया है. एमसीडी के अनुसार, मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने उसको चुनाव संबंधी विभिन्न कार्यों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने और कर्मचारियों को चुनाव कार्य के संबंध में ट्रेनिंग देने का भी फरमान दिया है. इस कड़ी में उसने कार्य करना शुरू कर दिया है. उसने नोडल अधिकारी नियुक्त करने के साथ-साथ कर्मचारियों को ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है.
AAP, बीजेपी और कांग्रेस ने तैयरियां शुरू की
मनीष सिसोदिया के जमानत पर बाहर आने के बाद जहां 14 अगस्त से वो पदयात्रा शुरू कर रहे हैं तो बीजेपी को लगता है कि अब कभी भी केजरीवाल जेल से बाहर आ सकते हैं, लिहाजा आम आदमी पार्टी रणनीति को बदलते हुए चुनावी समर में उतर रही है. उधर कांग्रेस ने चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान करते हुए बारिश या फिर करंट लगने से मौतों को मुद्दा बनाकर सीधे केजरीवाल पर हमले कर रही है.
AAP को शासन करते हुए साढ़े 9 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लिहाजा वो एंटी इनकंबेंसी और सरकार पर लग रहे शराब नीति जैसे घोटाले के आरोपों के बीच ही मतदाताओं से अपने लिए वोट मांगने निकलेगी. बीजेपी को लगता है कि 20 साल से ज्यादा का वनवास साल 2025 में खत्म करने का सुनहरा मौका है क्योंकि इस बार आप पर आरोप चिपक गया है. कांग्रेस अपनी चुनावी जमीन तैयार कर रही है ताकि वो उठ सके. लिहाजा वो शीला दीक्षित के 15 सालों के शासन को दिल्ली को याद दिलाना नहीं भूलती.