
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से लिए गए एक अहम फैसले के तहत केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG) को ही अति विशिष्ट व्यक्तियों (VVIPs) की सुरक्षा के लिए निर्धारित किया है. आज तक/इंडिया टुडे के पास केंद्रीय गृह मंत्रालय के उस फैसले के नोट की प्रति मौजूद है जो 23 नवंबर को जारी किया गया. इसका सीधा अर्थ है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) और इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) से 100 VVIPs की सुरक्षा का जिम्मा अगले वर्ष के अंत तक ले कर CISF को सौंप दिया जाएगा.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के नोट में लिखा गया है कि निजी सुरक्षा दायित्वों की मंत्रालय ने समीक्षा की है. नोट के मुताबिक CRPF और ITBP को चरणबद्ध ढंग से निजी सुरक्षा के काम से हटाया जाएगा. ये काम CISF के स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप (SSG) को सौंपा जाएगा जिसे विशेष तौर पर इसी के लिए बनाया गया है.
नोट में कहा गया है कि NSG की ओर से ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों को सुरक्षा दी जाती रहेगी जो अति जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं. इस श्रेणी में कौन कौन आता है, इसकी समय समय पर समीक्षा की जाती रहेगी.
CRPF की वीवीआईपी सुरक्षा वाली सूची में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, दिनेश्वर शर्मा, लालू प्रसाद, रिलायंस प्रमुख मुकेश अंबानी आते हैं. CRPF को VVIPs सुरक्षा की जिम्मेदारी 2014 में सौंपी गई थी. बता दें कि तब NSG ने व्यक्तियों की निजी सुरक्षा के लिए अपने ब्लैक कैट कमांडो की सेवाएं देने में हिचकिचाहट दिखाई थी.
CRPF के मुकाबले ITBP के पास सिर्फ 17 हाई प्रोफाइल हस्तियों की सुरक्षा का जिम्मा है. इनमें जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, सीपीआईएम नेता यूसुफ तारिगामी शामिल हैं. ITBP नब्बे के दशक में अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराए जाने की घटना के बाद से से वीवीआईपी को सुरक्षा मुहैया करा रही है.
NSG के पास अति जोखिम वाले 14 VVIPs की सुरक्षा का जिम्मा है. हाल में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद की सुरक्षा से ब्लैक कैट्स को हटा लिया गया. NSG के स्पेशल रेंजर्स ग्रुप (SRG) में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (CAPF) और राज्यों की पुलिस फोर्स से जवानों को डेप्युटेशन पर लिया जाता है.
ब्लैक कमांडो फोर्स का गठन 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद किया गया था.