
यूपीएससी की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों ने अब भूख हड़ताल का निर्णय लिया है. जंतर-मंतर पर इन प्रतियोगियों का आखिरी मौका देने की मांग को लेकर प्रदर्शन जारी है. इस बीच किसी प्रकार की राहत की खबर न मिलने पर प्रदर्शन कर रहे प्रतियोगियों ने मुखर्जी नगर में भूख हड़ताल का ऐलान कर दिया है.
कोरोना की वजह से टूटा सपना
कोरोना की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई, तो वहीं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों ने फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम किया. ऐसे में कई प्रतियोगी जो आखिरी मौके का इंतजार कर रहे थे, उनका ये मौका छूट गया. केरल की रहने वाली डेंटिस्ट सबीनाथ ने आज जंतर-मंतर पर बैठे अपने साथियों के बीच ऐलान किया कि वो अब मुखर्जी नगर के बत्रा सिनेमा के सामने भूख हड़ताल पर बैठने वाली हैं.
दरअसल सबीनाथ सिविल सर्विस प्रतियोगी भी हैं. इस बार उनकी आईएएस बनने की आखिरी कोशिश थी, लेकिन कोरोना के कारण उन्होंने आखिरी अटेम्प्ट का मौका भी खो दिया. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के सितांशु और तमिलनाडु के समीर चेंनथारा भी आखिरी मौके की मांग कर रहे हैं.
ये है कहना
सिविल सर्विस प्रतियोगी साकेत कुमार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ये मांग खारिज कर चुका है, लेकिन हम लोगों में छात्र ही नहीं, बल्कि कई ऐसे लोग भी हैं, जो तैयारी के साथ नौकरी कर रहे थे. कई लोग कोरोना वॉरियर रहे हैं. कोरोना के चलते लाइब्रेरी बंद हो गईं, किताबें छूट गईं. कइयों को घर लौटना पड़ा. वहीं कई जॉबशुदा प्रतियोगियों पर एसेंशियल सर्विस एक्ट लगा हुआ था, लिहाजा वो उस वक्त नौकरी भी नहीं छोड़ सकते थे और ना ही पढ़ाई कर सकते थे. ऐसे ही छात्र-छात्राओं ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया है.
बता दें कि 4 अक्टूबर को प्रीलिम्स एग्जाम डिक्लेयर हुआ. उससे पहले ही प्रतियोगियों ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि कोरोना के पीक की वजह से एग्जाम स्थगित होना चाहिए. बकौल छात्र 11 सुनवाइयों में सरकार ने संकेत दिए थे, कि आखिरी अटेम्प्ट एग्जाम दे रहे छात्रों को मौका भी दिया जाएगा. 4 मार्च को सरकारी नोटिफिकेशन के बाद भी कोई राहत नहीं मिली. वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह ने जलीकट्टू केस का हवाला देते हुए कहा कि जैसे इस केस में जनभावना का ध्यान कोर्ट ने रखा. छात्रों के लोकतांत्रिक विरोध से कोई ना कोई रास्ता निकलेगा और क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इसे पॉलिसी मैटर करार दिया है.