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सिर्फ 3 मुद्दे छोड़ बाकी पर दिल्ली विधानसभा कर सकती है फैसला: SC

दिल्ली को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा फैसला दिया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. CJI दीपक मिश्रा ने टिप्पणी की है कि संविधान का पालन करना सबकी जिम्मेदारी है.

CJI दीपक मिश्रा CJI दीपक मिश्रा
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

दिल्ली को लेकर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा फैसला दिया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. CJI दीपक मिश्रा ने टिप्पणी की है कि संविधान का पालन करना सबकी जिम्मेदारी है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में भी जनता की चुनी हुई सरकार है. इसलिए सरकार जनता के प्रति जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन जैसे मामलों को छोड़कर बाकी फैसले दिल्ली सकार ले सकती है. क्योंकि सरकार जनता की चुनी है और उसे जनता के लिए उपलब्ध होनी चाहिए.

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दिल्ली को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ बड़ी टिप्पणी की है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला पढ़ना शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं.

दरअसल, दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी लंबे समय से चल रही जंग के बीच सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य को चलाने के लिए जिम्मेदार है. फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर खुशी जता दी है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है. आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि केंद्र की मोदी सरकार एलजी के जरिए अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही है और राज्य सरकार को काम नहीं करने दे रही है.

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