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स्कूल ड्रेस और महंगी किताबें... दिल्ली सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को भेजा नोटिस

अरविंद केजरीवाल सरकार ने पेरेंट्स को महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने को बाध्य करने वाले प्राइवेट स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजना शुरू कर दिया है. शिक्षा मंत्री के मुताबिक, शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी गाइडलाइन्स पेरेंट्स को ये स्वतंत्रता देती है कि वे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी जगह से किताबें और ड्रेस खरीद सकें.

(प्रतीकात्मक फोटो) (प्रतीकात्मक फोटो)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली ,
  • 19 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 10:43 AM IST

केजरीवाल सरकार ने पेरेंट्स को महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने को बाध्य करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ एक्शन लेना शुरू कर दिया है. नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों को सरकार की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजना शुरू कर दिया गया है. नोटिस का संतोषजनक जबाव नहीं मिलने पर शिक्षा निदेशालय संबंधित स्कूलों के खिलाफ सख्त कारवाई करने को तैयार है. 

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शिक्षा मंत्री ने कहा कि पेरेंट्स से शिकायत आने पर संबंधित स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है. साथ ही डीडीई स्तर पर इसकी जांच भी की जा रही है. यदि गाइडलाइंस के उल्लंघन की स्थिति होती है, तो इन स्कूलों पर दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के संबंधित प्रावधानों की तहत कार्रवाई की जाएगी.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि पेरेंट्स से आने वाली शिकायतों पर उन्होंने स्वयं नजर बना रखी है. शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिए है कि पेरेंट्स की ओर से आने वाली हर शिकायत का तुरंत निवारण किया जाए, ताकि उन्हें किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े.

12 प्राइवेट स्कूलों को भेजा नोटिस, 6 के खिलाफ जांच जारी 

बता दें, शिक्षा निदेशालय द्वारा गाइडलाइंस जारी करने के बावजूद पेरेंट्स की ओर से कई स्कूलों के खिलाफ शिकायत मिल रही है. बताया जा रहा है कि स्कूल प्रशासन उन्हें खास वेंडर से महंगी किताबें और स्कूल ड्रेस खरीदने को मजबूर कर रहे हैं. यह पूरी तरह से नियमों का उल्लंघन है.

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इससे निपटने के लिए पेरेंट्स की ओर से जिन स्कूलों के खिलाफ शिकायते मिल रही हैं, शिक्षा निदेशालय अधिकारियों से इन उनकी जांच करवा रहा है. गाइडलाइंस का उल्लंघन पाए जाने की स्थिति में उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए जा रहे हैं.

नोटिस का संतोषजनक जबाव न मिलने की स्थिति में इन स्कूलों के खिलाफ सख्त कारवाई की जाएगी. निदेशालय ने गाइडलाइन्स के उल्लंघन के मामले में सख्ती बरतते हुए अब तक 12 स्कूलों को कारण बताओं नोटिस भेजा है. साथ ही 6 अन्य स्कूलों के खिलाफ जांच भी की है.

शिक्षा का उद्देश्य भविष्य संवारना, न कि पैसा कमाना 

शिक्षा मंत्री के मुताबिक, शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस पेरेंट्स को ये आजादी देती है कि वे अपनी सुविधानुसार किसी भी जगह से बच्चों के लिए किताबें और ड्रेस खरीद सकें. अगर प्राइवेट स्कूल पेरेंट्स को खास जगह से महंगी किताबें-स्कूल ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं, तो ये गाइडलाइंस की अवहेलना है.

उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार बच्चों की शिक्षा को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है. अगर प्राइवेट स्कूल नियमों की अवहेलना कर रहे हैं, तो उन्हें बक्शा नहीं जाएगा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि हर पेरेंट्स को नए सेशन से पहले आने वाले सत्र के लिए किताबों और ड्रेस के बारें में उचित जानकारी प्राप्त करने का पूरा अधिकार है.

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माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार, इसकी व्यवस्था कर सकें न कि स्कूल उन्हें ये चीजें खुद से या अपनी पसंदीदा दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर करें. उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य देश का भविष्य संवारना होना चाहिए, न कि पैसा कमाना.

कम से कम 5 दुकानों का पता और फोन नंबर देना होगा 

शिक्षा निदेशालय के गाइडलाइन्स के तहत निजी स्कूलों को नए सत्र में प्रयोग में आने वाले किताबों और अन्य स्टडी मटेरियल की कक्षावार सूची नियमानुसार स्कूल की वेबसाइट और विशिष्ट स्थानों पर पहले से ही प्रदर्शित करनी होती है. इसका उद्देश्य अभिभावकों को इसके बारे में जागरूक करना है.

इसके अलावा स्कूल को अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक के कम से कम 5 दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी देना होता है, जहां से पेरेंट्स किताबें और स्कूल ड्रेस खरीद सकें. साथ ही स्कूल पेरेंट्स को किसी भी विशिष्ट विक्रेता से इन चीजों को खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता.  

माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीद सकते हैं. साथ ही शिक्षा निदेशालय की इस गाइडलाइन्स में ये भी स्पष्ट किया गया है कि कोई भी प्राइवेट स्कूल कम से कम 3 साल तक स्कूल की ड्रेस का रंग, डिजाइन और अन्य स्पेसिफिकेशन को नहीं बदल सकता है.

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