
दिल्ली में कोरोना के हालात का रियल टाइम आंकलन करने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने 'कोविड वॉर रूम' की शुरुआत की है. इस कोविड वॉर रूम में सुबह 12 बजे से रात 12 बजे तक 25 लोगों की टीम दिल्ली में कोरोना के हालात पर नजर बनाए रखेगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज शनिवार को इस वॉर रूम को लॉन्च किया.
कोविड वॉर रूम में अलग-अलग अस्पतालों में ऑक्सीजन के ताजा हालात का डेटा जैसे कितनी ऑक्सीजन की सप्लाई हुई और अस्पताल ने कितनी ऑक्सीजन खर्च की. इसी तरह दिल्ली के किस इलाके में कोरोना के मामले ज्यादा हैं या कम हैं. किस इलाके में कोरोना से कितनी मौत हुईं, इससे संबंधित जानकारी वॉर रूम में पल-पल दर्ज की जाएंगी. कोविड वॉर रूम एक तरह का डेटा हब भी है.
इन दिनों दिल्ली में वैक्सीनेशन प्रोग्राम भी चर्चा में है. नए कोविड वॉर रूम के माध्यम से दिल्ली के अलग-अलग जिलों में वैक्सीन का कितना स्टॉक दिया गया, वैक्सीनेशन सेंटर में कितने लोगों का वैक्सीन दी गयी और कितनी वैक्सीन खराब हुई, इसके बारे में भी जानकारी जुटाने का काम वॉर रूम करेगा.
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ऑक्सीजन को अस्पतालों तक पहुंचाने वाले ट्रकों की लाइव GPS ट्रेकिंग को ट्रेक करने की जिम्मेदारी भी कोविड वॉर रूम की होगी. कोविड कमांड सेंटर के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस कमांड सेंटर से कोरोना वायरस संबंधित अलग-अलग तरह का डेटा रियल टाइम बेसिस पर कैप्चर किया जाएगा. रियल टाइम का मतलब यह है कि अभी इस वक्त कहां पर क्या चल रहा है वह यहां पर कैप्चर होगा.
डेटा के आधार पर फैसला लेने में मिलेगी मददः CM केजरीवाल
सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि "जैसे अगर हम ऑक्सीजन की बात करें तो इस वक्त किस अस्पताल में कितनी ऑक्सीजन है, कौन सा हमारा ऑक्सीजन का टैंकर निकल चुका है, वह कहां पहुंचा है, उसकी जीपीएस से ट्रैकिंग की जाएगी. अगर अस्पतालों की बात करते हैं तो किस अस्पताल में कितने बेड खाली हैं, कितने आईसीयू बेड खाली हैं, कितने ऑक्सीजन के बेड खाली हैं, उसी तरह से कितने लोगों को वैक्सीन लग चुकी है, कितने लोगों को किस आयु वर्ग में वैक्सीन लग चुकी है."
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वैक्सीन ऑक्सीजन हॉस्पिटल के अलावा किस इलाके में कितने मरीज हैं, कितने एक्टिव मरीज हैं और कितने मरीज ठीक हो चुके, उसका जो ज्योग्राफिकल डिस्ट्रीब्यूशन का डेटा यहां पर कैप्चर होना शुरू हो गया है. यह बहुत अच्छी शुरुआत है क्योंकि सरकार अगर कोई फैसला हवा में लेती है तो वह फैसला कभी सफल नहीं होता. सरकार अगर वही फैसला डेटा के आधार पर लेती है तो वह निर्णय सार्थक होगा और प्रभावी होगा.