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सीएम केजरीवाल ने NCCSA की दूसरी बैठक में लिए कई फैसले, शिक्षा विभाग में नियुक्ति पर लगाई रोक

एनसीसीएसए की पहली बैठक 20 जून को आयोजित की गई थी. अब गुरुवार को दूसरी बैठक में तीन मुद्दों पर चर्चा हुई. सीएम ने तीन में से दो मुद्दों पर असहमति जताई तो वहीं एक मामले को मंजूरी दे दी. ये मामला कुछ महिला अधिकारियों की मांग से जुड़ा था.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (File Photo) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (File Photo)
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2023,
  • अपडेटेड 7:57 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की दूसरी बैठक ली. इसमें उन्होंने नियुक्तियों से जुड़े तीन मामलों पर अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग में कुछ अधिकारियों की नियुक्ति उनके खिलाफ चल रही सतर्कता जांच का हवाला देते हुए रोक दी.

दरअसल, एनसीसीएसए की पहली बैठक 20 जून को आयोजित की गई थी. अब गुरुवार को दूसरी बैठक में तीन मुद्दों पर चर्चा हुई. सीएम ने तीन में से दो मुद्दों पर असहमति जताई तो वहीं एक मामले को मंजूरी दे दी. ये मामला कुछ महिला अधिकारियों की मांग से जुड़ा था.

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सीएम आवास पर हुई नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी की दूसरी बैठक में रखे गए ये मुद्दे-

1. शिक्षा विभाग में कुछ अधिकारियों को नियुक्त करने का प्रस्ताव सीएम केजरीवाल ने रोक दिया क्योंकि उनके ख़िलाफ़ विज़िलेंस के केस चल रहे हैं.

2. शिक्षा विभाग के कुछ अच्छे अधिकारियों को विभाग से हटाने का प्रस्ताव था, उस पर भी सीएम ने आपत्ति की और प्रस्ताव को रोक दिया.

3. कुछ महिला अधिकारियों ने पर्सनल ग्राउंड पर सब रजिस्ट्रार की पोस्टिंग से हटाने की मांग की थी, जिसे सीएम ने मानवीय दृष्टिकोण दिखाते हुए अप्रूव किया.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के उपराज्यपाल अभी भी पहली बैठक के फैसलों पर विचार कर रहे हैं और फाइल पर साइन नहीं की है. वहीं सूत्रों की मानें तो उपराज्यपाल के कार्यालय से कहा गया है कि फाइल साइन कर दी गई है.

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गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में एनसीसीएसए की पहली बैठक के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में केजरीवाल ने फैसलों को मंजूरी देने में देरी को एक "तमाशा" और "निर्वाचित सरकार को दिल्ली में कोई काम नहीं करने देने की साजिश" करार दिया था. उन्होंने दावा किया था कि एनसीसीएसए के माध्यम से केंद्र ऐसा दिखाना चाहता है कि निकाय दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण निर्णय पारस्परिक रूप से लेता है. लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है.

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