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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी आसान नहीं रही कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी की रिहाई

मुनव्वर के वकीलों ने शनिवार को स्थानीय अदालत में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश किया, जिसमें मुनव्वर को पचास हजार रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की जमानती पेश करने  की बात कही गई थी.

आसान नहीं रही फारूकी की रिहाई (फाइल फोटो) आसान नहीं रही फारूकी की रिहाई (फाइल फोटो)
संजय शर्मा/हेमेंद्र शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:25 PM IST
  • सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार दोपहर को ही रिहाई का दिया था आदेश
  • फिर भी रिहाई में लग गया डेढ़ दिन
  • शनिवार देर रात को हुई फारूकी की रिहाई

स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद रिहाई में लगभग डेढ़ दिन का वक्त लग गया. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार सुबह करीब सवा ग्यारह बजे स्टैंडअप कॉमेडियन को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे. मुनव्वर के वकील अंशुमान श्रीवास्तव का कहना है कि कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद उनके क्लाइंट को रिहा नहीं किया गया. जेल सुप्रीटेंडेंट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कुछ स्पष्टीकरण के लिए फारूकी की रिहाई रोक ली थी. 

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सूत्रों के मुताबिक शनिवार देर रात इंदौर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के फोन की घंटी बजी. सुप्रीम कोर्ट ने सारा 'कन्फ्यूजन' दूर कर दिया. बता दिया गया कि आदेश सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड है. जेल सुप्रीटेंडेंट को फौरन सूचना दी गई और शनिवार देर रात 11 बजे मुनव्वर को इंदौर जेल से रिहा कर दिया गया.

इंदौर सेंट्रल जेल के अधीक्षक राकेश बंग्रे ने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कॉल किया. मुझे CJM का फोन आया था और उन्होंने कहा कि आरोपी के वकीलों ने बताया कि फारुकी को रिहा नहीं किया गया है. जिस पर मैंने उनसे कहा कि प्रयागराज के वारंट को लेकर ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है. तब CJM ने मुझे बताया कि उन्होंने आदेश भेज दिया है.   

जिसपर मैंने जेल के कर्मचारियों के साथ बात की और CJM से कहा कि हमें ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है. इसके बाद उन्होंने कहा कि यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर लोड किया गया है. जिसके बाद हमने फारुकी को रिहा कर दिया. सुप्रीम कोर्ट से कोई कॉल नहीं आया था. 

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मुनव्वर के वकीलों ने शनिवार को स्थानीय अदालत में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पेश किया, जिसमें मुनव्वर को पचास हजार रुपए के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की जमानती पेश करने  की बात कही गई थी. लेकिन कोर्ट स्पष्टीकरण चाहता था कि यूपी में दर्ज FIR पर भी ये आदेश लागू होगा या नहीं? क्योंकि प्रयागराज कोर्ट के आदेश के आधार पर मुनव्वर को इंदौर से प्रयागराज ले जाने के प्रोडक्शन वारंट के साथ पुलिस अधिकारी आ चुके थे. रविवार सुबह उसे प्रयागराज रवाना करने के लिए मुनव्वर का कोविड टेस्ट भी हो चुका था.

मुनव्वर के वकील अंशुमान श्रीवास्तव का कहना है कि इंदौर पुलिस के पास मुनव्वर को गिरफ्तार करने के लिए कोर्ट का कोई वारंट नहीं था. जबकि सुप्रीम कोर्ट के ही 2014 के फैसले 'अर्नेश कुमार बनाम बिहार सरकार' के मुताबिक वारंट ज़रूरी है. 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब मुनव्वर की ओर से दलील दे रहे सीनियर एडवोकेट सौरभ किरपाल ने कहा कि मुनव्वर की गिरफ्तारी से पहले इस फैसले में दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो पीठ के अगुआ जस्टिस नरीमन ने कहा कि  इतना ही काफी है. फिर उन्होंने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एकल जज की पीठ के फैसले पर रोक लगा दी.

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फारूकी को अंतरिम जमानत की अर्जी मंजूर कर उसे शर्तों के साथ रिहा करने का हुक्म दिया और अन्य FIR पर सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिया. प्रयागराज कोर्ट से मुनव्वर के लिए प्रोडक्शन वारंट पर भी रोक लगा दी.

बता दें, एक जनवरी को इंदौर के चटपटे रसीले चटोरे इलाके 56 दुकान सर्राफा बाजार के एक कैफे में कॉमेडी कार्यक्रम में मुनव्वर के कमेंट पर कुछ लोगों को आपत्ति हुई. जिसके बाद बीजेपी विधायक के बेटे ने FIR दर्ज करा दी. मुनव्वर सहित पांच लोग गिरफ्तार कर लिए गए. मुनव्वर के साथ एडविन एंथनी, नलिन यादव, प्रखर व्यास और प्रियम व्यास ने भी जेल की हवा खाई. मुनव्वर तो बाहर आ गए हैं लेकिन ये चारों अभी भी जेल में हैं.

 

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