
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने लॉकडाउन 4.0 के लिए जारी गाइडलाइंस में काफी रियायतें दे दी हैं. बाजारों में दुकानें खोलने की छूट दे दी गई है, वहीं ऑटो और बस सेवाओं को भी शर्तों के साथ शुरू करने की अनुमति दे दी गई है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेता गौतम गंभीर ने लॉकडाउन में दी गई ढील पर सोचने की अपील भी की थी.
इन सबके बीच यह सवाल भी उठ रहे हैं कि जब दिल्ली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, मरीजों की संख्या 10000 के पार पहुंच चुकी है, ऐसे में आखिर छूट देने की जरूरत क्यों पड़ी? इस पर आजतक से बात करते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि लॉकडाउन से कोरोना का इलाज नहीं ढूंढना है. यह केवल कोरोना से लड़ने की तैयारियों के लिए है. 10 हजार लोगों को कोरोना हुआ, तो इनमें से 5 हजार लोग ठीक भी हो चुके हैं. हो सकता है नए मामले आएं, लेकिन लोग ठीक भी हो रहे हैं.
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उन्होंने आर्थिक स्थिति से जुड़े सवाल पर कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था का बहुत बुरा हाल है. पूरा बाजार बंद रहा. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था सिर्फ टैक्स नहीं. पिछले 2 महीने से बाजार बंद हैं, प्रोडक्शन भी नहीं हुआ. सिसोदिया ने कहा कि लॉकडाउन नहीं खुलेगा तो लोग भूखे हैं, गलियों में मर रहे हैं. लोग काम करना चाहते हैं. वे केवल स्कूल में खाना खाने या राशन के लिए जिंदा नही हैं. लोग केवल घर पर भी लॉक नहीं रह सकते. उन्होंने कहा कि आम दुकानदार पूछ रहा है कि कैसे घर चलाऊं? कुछ हार्ड स्टेप तो लेने ही पड़ते हैं. मुख्यमंत्री ने हार्ड स्टेप अर्थव्यवस्था और जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए लिया है.
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क्या अस्पतालों में तैयारी पूरी है? इस सवाल पर मनीष सिसोदिया ने कहा कि अगर कोरोना के मरीज बढ़ते हैं, तो सरकार ने अस्पतालों में तैयारी कर ली है. अस्पतालों में बेड की संख्या तय है, प्राइवेट अस्पताल लूप में हैं, पर्याप्त PPE किट भी है. अब तैयारी कैसी है, ये वक्त बताएगा. अगर मामले बढ़ते हैं तो ढील में कटौती होगी? इस पर उन्होंने कहा कि कितने लोग ठीक हुए और कितने लोग किस वजह से संक्रमित हुए, इसकी समीक्षा की जाती है. हर किसी को अनुशासित रहना होगा. ऐसा न हो कि अनुशासित न रहें तो दोबारा से बंद करने की जरूरत पड़ जाए.
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क्या प्रवासी मजदूरों को दिल्ली से उनके राज्य भेजना आसान है? इस सवाल पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में जो आया है, वह हमारे लिए दिल्ली वाला है. हम चाहेंगे कि मजदूर दिल्ली में रुकें. उन्होंने कहा कि शेल्टर होम में खाने-पीने का इंतजाम किया गया है, लेकिन अर्थव्यवस्था या कामकाज शुरू होने से मजदूरों का मन बनेगा कि दिल्ली में रहकर काम किया जाए.