
कोरोना संकट के बीच दिल्ली की आप सरकार और केंद्र के बीच तनातनी का दौर जारी है. पहले ऑक्सीजन को लेकर सियासत देखने को मिल रही थी, अब वैक्सीन पर भी राजनीति हो रही है. दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का खेल देखने को मिल रहा है और इसका शिकार वो आम जनता बन रही है जो अभी भी वैक्सीन के लिए घंटों लाइन में लगने को मजबूर है. अब इस बीच दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की तरफ से केंद्र पर निशाना साधा गया है.
सत्येंद्र जैन ने कहा है कि केंद्र उनकी तमाम मांगों का पहले मजाक बनाता है और बाद में बड़े स्तर पर उन्हीं पर अमल करने लगता है. वे कहते हैं कि हमारी जो भी मांग होती है पहले उसका मजाक बनाया जाता है. उसे उपेक्षित किया जाता है.
मुख्यमंत्री ने सबसे पहले ही कहा था कि 45 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लगा दें. फिर उन्होंने कर दिया. फिर सीएम ने कहा 18 से ऊपर के सभी लोगों को लगानी चाहिए तब भी ऐसे ही हुआ. वहीं क्योंकि अभी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तरफ से कहा गया है कि वैक्सीन बनाने की इजाजत अब एक की जगह 10 कंपनियों को दे देनी चाहिए, ऐसे में सत्येंद्र जैन ने इस पर भी प्रतिक्रिया दी है.
वैक्सीन को लेकर क्या कहा?
उन्होंने कहा है कि देश मे वैक्सीन बनाने की टेक्नोलॉजी है. तो प्रोडक्शन की क्षमता हमारे देश में लगभग 1 करोड़ वैक्सीन रोज़ की है. तो देश सिर्फ अपने लिए नहीं दूसरे देशों के लिए भी बना सकता है. बिल्कुल बनानी चाहिए. मैं उनके बयान का स्वागत करता हूं. वैसे अब जब दिल्ली में कोरोना केस कम होने शुरू हो गए हैं, ऐसे में बेड को लेकर मारामारी भी कम देखने को मिल रही है. इस पर खुशी जाहिर करते हुए सत्येंद्र जैन ने कहा है कि दिल्ली में इस समय कुल 27 हज़ार के करीब बेड हैं जिनमे 13 हज़ार बेड खाली हैं. साढ़े 6 हजार के करीब ICU बेड हैं जिसमें 1200 के करीब खाली हैं. स्थिति पिछले कुछ दिनों से बेहतर होती जा रही है.
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दिल्ली में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले
वहीं अब दिल्ली में क्योंकि ब्लैक फंगस के मामले बढ़ने लगे हैं, ऐसे में दिल्ली सरकार की तरफ से करीब 1 लाख डोज केंद्र से मांगी गई है. इस बारे में सत्येंद्र जैन कहते हैं कि ब्लैक फंगस का इलाज स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल के तहत किया जाता है. इसका इलाज घर पर नहीं किया जा सकता, अस्पताल में इसका इलाज पहले भी हो रहा था. लोग बाजार में दवाई मिलने की बात कर रहे हैं लेकिन बाजार में मिलना जरूरी नहीं है, कोशिश की जाएगी कि हॉस्पिटल को दवाई सीधे मिल जाए. दवाई की प्रोडक्शन पहले कम थी, हमने मांग की है कि हमें बहुत बड़ी मात्रा में इसकी डोज दी जाए. करीब 1 लाख डोज की डिमांड हमने केंद्र से की है.