
भाकपा (CPI) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर EPFO बोर्ड के ब्याज दर को 8.50% से घटाकर 8.10% करने के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है. सांसद ने निर्मला सीतारमण को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) का ब्याज दर घटाने का फैसला न केवल गैर-जिम्मेदार है, बल्कि सरका का ये कदम हमारे देश के मेहनतकश लोगों के प्रति चिंता की कमी को भी दर्शाता है.
सांसद ने कहा है कि चुनाव के जीत के बाद सत्ताधारी दल भाजपा ने एक बार फिर अपना असली रंग दिखाया है. उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री बिना वाजिब तर्क के लगातार ईपीएफओ पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बना रही थी. एक संगठन के तौर पर ईपीएफओ का उद्देश्य देश के कामकाजी वर्ग को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराना होना चाहिए लेकिन यह कटौती अनुचित है.
उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि संगठन का उद्देश्य सदस्यों और पेंशनभोगियों के लिए जीवन की सुगमता सुनिश्चित करना है. ऐसे समय में जब कोविड-19 महामारी ने भारत में लाखों श्रमिकों की वित्तीय सुरक्षा के साथ-साथ जीवन-यापन को भी प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि जीवन यापन, ब्याज दर में कमी का मतलब होगा कि 6 करोड़ वेतनभोगी को मौद्रिक नुकसान उठाना पड़ेगा.
40 साल में सबसे कम ब्याज
कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए उनकी सैलरी का एक निश्चित हिस्सा (12%) पीएफ खाते में जमा किया जाता है. इतनी ही राशि उसके एम्प्लॉयर को इस खाते में जमा करनी होती है. हालांकि एम्प्लॉयर के अंशदान का एक हिस्सा कर्मचारी के पेंशन फंड में जाता है. ईपीएफओ इस पूरे फंड का प्रबंधन करता है और हर साल इस राशि पर ब्याज देता है. वित्त वर्ष 1977-78 में EPFO ने लोगों को पीएफ जमा पर 8% ब्याज दिया था. तब से ये लगातार इससे ऊपर बना रहा है और अब 40 साल में मिलने वाला सबसे कम ब्याज है.