
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने दक्षिणी दिल्ली में 16 हजार से ज्यादा पेड़ काटने के मामले में रोक लगा दी है. दिल्ली हाईकोर्ट के रोक वाले फैसले को बरकरार रखते हुए एनजीटी ने सोमवार को आवासीय योजना के लिए नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) द्वारा पेड़ काटे जाने के मामले में केंद्र सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनडीएमसी, एसडीएमसी और डीडीए को नोटिस जारी किया.
एनजीटी ने इस मामले में एनबीसीसी सहित अन्य एजेंसियों को यथास्थिति बनाए रखने और हाइकोर्ट के आदेश को लागू रखने के आदेश दिए हैं. यानी 16, 500 पेड़ों को काटने की जो रोक दिल्ली हाइकोर्ट ने पिछले हफ़्ते लगाई थी, एनजीटी ने उसे बरकरार रखा है. इस मामले में अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी.
दिल्ली के पॉश इलाके में पेड़ काटने के लिए पर्यावरण मंजूरी दिए जाने के फैसले के खिलाफ एक एनजीओ ने अपील दायर की है.
ग्रीन सर्कल और चेतना जैसे एनजीओ एनजीटी पहुंचे थे जिस पर आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 19 जुलाई तक के लिए पेड़ काटने पर रोक लगा दी है.एनबीसीसी ने एनजीटी को सुनवाई के दौरान यह आश्वासन दिया की अगली सुनवाई तक दिल्ली के इन आधा दर्जन से ऊपर इलाकों में पेड़ नहीं काटे जाएंगे, जहां पुनःविकास का काम चल रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट में भी पेड़ों को काटने से रोकने के लिए लगाई गई याचिका पर 4 जुलाई को सुनवाई होनी है.
गौरतलब है कि यह प्रोजेक्ट नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) के तहत पूरा हो रहा है. एनबीसीसी साउथ दिल्ली के इलाकों में पुरानी इमारतों को तोड़कर बड़ी बहुमंजिला इमारतें बना रही है और उसी के लिए इन पेड़ों को काटा जा रहा है. इसमें सरोजिनी नगर के अलावा कस्तूरबा नगर, नैरोजी नगर, नेताजी नगर, त्याग राज नगर और मोहम्मदपुर शामिल है.
दक्षिण दिल्ली की 6 कॉलोनियों में सरकारी आवास बनाने के लिए क़रीब 16 हज़ार पेड़ काटने की योजना के ख़िलाफ़ हाइकोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि एनजीटी में मामले की सुनवाई तक रोक लगाएं. अदालत ने एनबीसीसी के पेड़ काटने पर सवाल उठाए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि आप आवास बनाने के लिए हजारों पेड़ काटना चाहते हैं और क्या दिल्ली ये अफोर्ड कर सकते है.
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर सड़क बनाने आदि के लिए पेड़ काटने होते तो ठीक था. कोर्ट ने एनबीसीसी को कहा कि आप तो सिर्फ एजेंसी हैं जो काम कर रही है. हम सरकारी एजेंसियों की बात सुनना चाहते हैं. एनजीटी का आदेश कहां है जिसमें कहा गया कि पेड़ काट सकते हैं.
एनबीसीसी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि दो जुलाई को मामला एनजीटी में सुनवाई के लिए आएगा. हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए. ट्री अथॉरिटी ने भी पेड़ काटने की इजाजत दी है. हमने आठ करोड़ रुपये डीडीए में जमा भी कराए हैं. दिल्ली हाइकोर्ट के दख़ल के बाद एनबीसीसी की अंडरटेकिंग दी है जिसमें कहा गया है कि 4 जुलाई तक दिल्ली में पेड़ नहीं काटे जाएंगे.