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दयाल सिंह कॉलेज का नाम बदलने पर सिसोदिया बोले, अतीत प्रेम से बीमार है केंद्र

इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति जताते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र की सरकार के इशारे पर ये हो रहा है. मोदी सरकार को सिर्फ अतीत से प्रेम है. यह सरकार अतीत प्रेम नाम की बीमारी से पीड़ित है.

दयाल सिंह कॉलेज दयाल सिंह कॉलेज
अंकुर कुमार/मणिदीप शर्मा/रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली ,
  • 18 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी में मौजूद दयाल सिंह कॉलेज का नाम बदलकर वन्दे मातरम कॉलेज रखे जाने का प्रस्ताव कॉलेज की गवर्निंग बॉडी ने पास कर दिया है. शुक्रवार को कॉलेज की गवर्निंग बॉडी ने इस बाबत प्रस्ताव भी पास करके डीयू प्रशासन को भेज दिया. 1958 से चल रहे दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज को अब बदलकर सुबह की शिफ्ट में किया जा रहा है.

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इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति जताते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र की सरकार के इशारे पर ये हो रहा है. मोदी सरकार को सिर्फ अतीत से प्रेम है. यह सरकार अतीत प्रेम नाम की बीमारी से पीड़ित है, इसलिए यह सरकार सिर्फ पीछे की चीजों को देख रही है. सिसोदिया ने कहा कि गाड़ी चलाते हुए पीछे के शीशे से थोड़ी देर के लिए देखा जाता है जबकि केंद्र सरकार पीछे के शीशे को ही आगे का शीशा बनाना चाहती है. सिसोदिया ने कहा कि मोदी सरकार को अतीत नहीं भविष्य की चिंता भी करनी चाहिए.

दूसरी तरफ दिल्ली BJP अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सिसोदिया पर पलटवार करते हुए कहा कि सिसोदिया बोलते हैं कि बीजेपी अतीत में जीती है. अतीत में वन्दे मातरम अगर रखा गया तो क्या सिसोदिया ये बोलना चाहते हैं कि भविष्य में वन्दे मातरम होगा ही नहीं. उनको ऐसा नहीं बोलना चाहिए. कैसे वो संवैधानिक पद पर बैठे हैं?

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दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (डूसू) के उपाध्यक्ष कुणाल सहरावत ने कहा है कि हमें नाम बदलने और रखने में कोई आपत्ति नहीं है. आप कॉलेज का नाम 'नरेंद्र मोदी' कॉलेज रख लीजिए, मगर कॉलेज को उचित इंफ्रास्ट्रक्चर तो दीजिए. बच्चों की क्लासेस टूटे हुए कमरे में और गोदामों में लग रही हैं और ये लोग सिर्फ नाम बदल रहे हैं. बच्चों ने मुझे अपनी समस्या बताने के लिए बुलाया था. मैंने अपनी बात रखी मगर कॉलेज ने किसी की सुनवाई नहीं की.

दयाल सिंह कॉलेज के प्रिंसिपल पवन शर्मा ने इस मामले पर कहा कि वंदे मातरम नाम रखने में कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी कॉलेजों के नाम तो ऐसे लोगों के नाम पर हैं, जिनको कोई नहीं जानता. वंदे मातरम देश को एक सूत्र में पिरोने वाला शब्द है. इसके नाम पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए. वहीं एनएसयूआई की आपत्ति हम खारिज करते हैं, क्योंकि वह सिर्फ विरोध कर रहे हैं.

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