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कबाड़ से जुगाड़: हाईस्कूल के छात्र ने रॉयल एनफील्ड को बना दिया E-बुलेट

छात्र ने कबाड़ के कलपुर्जों के साथ कलाकारी कर E-बुलेट बना डाली है. महज 15 साल की उम्र में उसने यह कमाल कर सभी को हैरान कर दिया है. करीब 45 हजार रुपये खर्च कर छात्र ने रॉयल एनफील्ड बाइक को ई-बाइक में बदला है जो एक बार चार्ज करने पर सौ किलोमीटर तक चलेगी.

जुगाड़ की ई-बाइक के साथ छात्र जुगाड़ की ई-बाइक के साथ छात्र
वरुण सिन्हा
  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:27 AM IST
  • एक बार चार्ज करने पर चलेगी सौ किलोमीटर
  • 80 किलोमीटर प्रति घंटे की है अधिकतम स्पीड 

कुछ लोग सबसे अलग होते हैं और कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसकी कल्पना करना भी कठिन होता है. ऐसा ही एक कारनामा किया है दिल्ली के एक स्कूल से नौवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे छात्र ने. इस छात्र ने कबाड़ के कलपुर्जों के साथ कलाकारी कर E-बुलेट बना डाली है. महज 15 साल की उम्र में उसने यह कमाल कर सभी को हैरान कर दिया है. करीब 45 हजार रुपये खर्च कर छात्र ने रॉयल एनफील्ड बाइक को ई-बाइक में बदला है जो एक बार चार्ज करने पर सौ किलोमीटर तक चलेगी.

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सुभाष नगर स्थित सर्वोदय बाल विद्यालय के छात्र 15 साल के राजन को कबाड़ से चीजें बनाने का शौक है. राजन ने सबसे पहले लॉकडाउन में ई-साइकिल पर प्रयोग शुरू किया था जो असफल रहा था. ई-साइकिल की सवारी करते समय वह गिरकर बेहोश हो गया था और चोट भी लगी थी. तब राजन के पिता दशरथ शर्मा ने डांट भी लगाई और ऐसा करने से मना भी कर दिया. कुछ दिन के लिए राजन ने ई-बाइक बनाने की रुचि को मन में दबा लिया.

राजन के मुताबिक ये तमन्ना जब मन में फिर से हिलोरे लेने लगी तब उसने घर में झूठ बोला कि स्कूल से ई-बाइक बनाने का प्रोजेक्ट मिला है. ये सुनकर पिता परेशान हुए कि पैसे कहां से आएंगे और राजन को मना किया लेकिन फिर एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत दशरथ शर्मा बेटे की जिद के आगे झुक ही गए. उन्होंने अपनी कंपनी और दोस्तो से पैसे लेकर राजन के प्रोजेक्ट में मदद की. करीब तीन महीने बाद राजन की ई-बाइक बन कर तैयार हो गई है.
  
राजन ने बताया कि लुक लगभग सेम रखा है. हेड लाइट और आगे का लुक सब सेम है. नीचे इंजन हटा दिया और उसकी जगह बैटरी लगा दी और उसका कनेक्शन डायरेक्ट कर दिया. ई-बुलेट बनाने वाले छात्र के मुताबिक उसने अपने पिता से कहा कि कोई पुरानी रॉयल एनफील्ड चाहिए. इसके बाद खोज शुरू हुई लेकिन चेचिस नंबर के कारण रॉयल एनफील्ड मिलने में परेशानी आ रही थी. काफी तलाश करने के बाद मायापुरी कबाड़ मार्केट से वह उन्हें 10 हजार रुपये में मिल गई. राजन ने बाइक तीन दिन में बनाई लेकिन सामान एकत्र करने में उन्हें करीब 3 महीने का समय लग गया.

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राजन ने इस दौरान गूगल और यूट्यूब से ई-बाइक के बारे में जानकारी जुटाई. राजन के पिता दशरथ शर्मा कहते हैं कि राजन ने जब मुझसे ये कहा तो यकीन नहीं हुआ कि इतना छोटा बच्चा कैसे ये कर लेगा. हालांकि इस तरह की चीजों में इसकी रुचि है पर बाइक बनाने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता. इस ई-बाइक की स्पीड 50 किलोमीटर प्रतिघंटा है और हाइवे पर इसकी अधिकतम स्पीड 80 किलोमीटर प्रतिघंटा तक जा सकती है. बाइक चलाने पर बैटरी गिर ना जाए, इसके लिए उसके बाहर लकड़ी का बॉक्स लगाया गया है.

अब ई-कार है लक्ष्य

राजन ने ई-बाइक के बाद ई-कार के निर्माण को अपना लक्ष्य बताया. राजन ने बताया कि ई-कार का मॉडल भी तैयार कर लिया है. राजन का मानना है कि पुरानी गाड़ियों को इलेक्ट्रॉनिक वाहन में बदला जाए तो स्क्रैप की टेंशन खत्म हो जाएगी और गाड़ियों की लाइफ भी बढ़ जाएगी. इससे पॉल्युशन की टेंशन भी नहीं रहेगी.

 

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