
दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने राजेंद्र नगर विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी. AAP ने राघव चड्ढा के इस्तीफे के कारण खाली हुई इस सीट से दुर्गेश पाठक को चुनाव मैदान में उतारा था. AAP के उम्मीदवार दुर्गेश पाठक ने बीजेपी के राजेश भाटिया को 11,468 वोट के अंतर से हरा दिया है. जो कि अब तक का सबसे कम अंतर है क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में राघव चड्ढा ने बीजेपी के आरपी सिंह को 20 हजार 58 वोट से हराया था. इससे पहले 2015 के चुनाव में आप के विजेंद्र गर्ग ने सरदार आरपी सिंह को 20 हजार 51 वोट से हराया था. वह भी तब जब कांग्रेस उम्मीदवार को 2022 के मुकाबले बहुत ज्यादा वोट हासिल हुए थे. जबकि 2022 के उपचुनाव में बीजेपी के राजेश भाटिया ने हार का अंतर कम कर दिया है.
बीजेपी की हार के 5 कारण
1- बीजेपी से जुड़े सीनियर नेता का कहना है कि 6 जून को नामांकन की आखिरी तारीख और 7 जून से दिल्ली प्रदेश महिला मोर्चा के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन दिल्ली से बाहर वृंदावन के छटीकरा में किया गया, जबकि शिविर की बजाय महिला मोर्चा की सभी कार्यकर्ताओं के एक-एक घर में बार-बार संपर्क की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी.
2- वहीं 11-12 जून को नवीन शाहदरा जिला के नंद नगरी इलाके में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें प्रदेश बीजेपी का पूरा का पूरा अमला जुटा रहा. जबकि पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के पास जो भी समय था, वह राजेंद्र नगर विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव में लगाया जाना चाहिए था.
3- बीजेपी के मंडल के कार्यकर्ताओं में इस बात से भारी नाराजगी दिखी कि पूरे उप-चुनाव के दौरान उन्हें एक पार्षद की वजह से तवज्जो नहीं दी गई.
4- जहां आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी दुर्गेश पाठक के नाम की घोषणा पार्टी ने पहले से ही कर दी थी और पूरा अमला चुनाव जीतने में जुट गया तो वहीं बीजेपी के राजेश भाटिया के नाम की घोषणा नामांकन की अंतिम तारीख के करीब हुई.
5- सबसे बड़ी खामी पुरानी मतदाता सूची को बताया जा रहा है. बीजेपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान विभिन्न मंडलों और समितियों के कार्यकर्ताओं को मुहैया कराई गई मतदाता सूची पुरानी थी. मतदान से ठीक एक दिन पहले आई नई सूची जब कार्यकर्ताओं को मिली तो पता चला कि पार्टी के बहुत से कार्यकर्ताओं और बीजेपी माइंडेड मतदाताओं के नाम ही इस सूची में कटे पाये गये. जिसकी वजह से बीजेपी को पड़ने वाले मतों की संख्या कम रह गई.
वहीं दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि भाजपा इस जनादेश का सम्मान करती है और विपक्ष में रहते हुए दिल्ली की सेवा और समाधान के लिए लड़ती रहेगी.
कब होंगे एमसीडी चुनाव?
एमसीडी चुनाव साल के अंत तक हो सकते हैं. आम आदमी पार्टी अक्सर बीजेपी पर एमसीडी चुनाव टालने का आरोप लगाती है. राजेंद्र नगर उपचुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी एमसीडी चुनाव जल्दी हों इसके लिए दबाव बनाएगी ताकि लोगों के रूझान को भुनाया जा सके. वहीं दिल्ली बीजेपी का वनवास राजधानी में खत्म नहीं हो रहा क्योंकि पार्टी आज भी भीतरघात और घुटबाज़ी से जूझ रही है.