
दिल्ली में आज यानी गुरुवार को प्रदूषण का स्तर पिछले दिनों के मुकाबले बदतर स्थिति में होने के बावजूद 'खराब' श्रेणी में ही रहा. दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक गुरुवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (Delhi Air Quality Index) 254 रहा. इससे पहले के आंकड़ों की बात करें तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार बुधवार की सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 268 था जबकि मंगलवार को यह 223 दर्ज किया गया था.
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 'गंभीर' माना जाता है.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था ‘सफर’ ने भी अभी वायु की गुणवत्ता के बहुत खराब श्रेणी में रहने का अनुमान लगाया है. सफर के मुताबिक 23 अक्टूबर को हवा की गुणवत्ता (AQI) बहुत खराब से खराब के बीच रहेगी. सफर के अनुसार हरियाणा, पंजाब और आसपास के क्षेत्रों में कल (मंगलवार को) पराली जलाने की 849 घटनाएं हुईं. सफर के अनुसार पराली जलाने का पीएम 2.5 के उत्सर्जन में आज 15 प्रतिशत योगदान रहा.
राजधानी में मंगलवार को एक्यूआई 223 था. यह सोमवार को 244 और रविवार को 254 दर्ज किया गया था. दिल्ली सरकार ने ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ नामक प्रदूषण रोधी अभियान शुरू किया है जिसके तहत प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए शहर के सौ यातायात सिग्नल पर 2,500 पर्यावरण मार्शलों की तैनाती की गई है. सरकार ने कहा है कि जागरूकता अभियान 15 नवंबर तक सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक चलेगा और इस दौरान किसी का चालान नहीं किया जाएगा.
हालांकि, पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. पंजाब में इस साल पराली जलाने के 8 हजार 55 केस सामने आ चुके हैं जो पिछले साल के मुकाबले 43 फीसदी ज्यादा है. अधिकारी मान रहे है कि इस बार धान की फसल जल्दी होने से पराली के केस ज्यादा बढ़ गए हैं. अबतक 1 हजार 124 मामलों में सरकार ने 31 लाख 22 हजार का जुर्माना ठोका है. जबकि 1 हजार 82 केस जांच के दायरे में हैं.
2019 में भारत में 16.7 लाख लोगों की प्रदूषण से मौत
भारत में 2019 में वायु प्रदूषण से 16.7 लाख लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 1 लाख से अधिक की उम्र 1 महीने से कम थी. अमेरिका के एक गैर सरकारी संगठन की तरफ से कराए गए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 के मुताबिक बुधवार को हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (एचईआई) ने वायु प्रदूषण का दुनिया पर असर को लेकर एक रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया कि भारत में स्वास्थ्य पर सबसे बड़ा खतरा वायु प्रदूषण है.
1.16 लाख नवजातों की गई जान
इस रिपोर्ट में बताया गया, 'बाहरी एवं घर के अंदर पार्टिकुलेट मैटर प्रदूषण के कारण 2019 में नवजातों की पहले ही महीने में मौत की संख्या 1 लाख 16 हजार से अधिक थी. इन मौतों में से आधे से अधिक बाहरी वातावरण के पीएम 2.5 से जुड़ी हुई हैं और अन्य खाना बनाने में कोयला, लकड़ी और गोबर के इस्तेमाल के कारण होने वाले प्रदूषण से जुड़ी हुई हैं.' रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वायु प्रदूषण और हृदय एवं फेफड़ा रोग के बीच संबंध होने का स्पष्ट साक्ष्य है.
‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर’ में प्रकाशित नये विश्लेषण में अनुमान जताया गया है कि नवजातों में 21 फीसदी मौत का कारण घर एवं आसपास का वायु प्रदूषण है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु प्रदूषण अब मौत के लिए सबसे बड़ा खतरा वाला कारक बन गया है. इसके मुताबिक भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल सहित दक्षिण एशियाई देश उन शीर्ष दस राष्ट्रों में शामिल हैं जहां 2019 में पीएम 2.5 का स्तर सर्वाधिक रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक 2010 के बाद से करीब पांच करोड़ लोग घर के अंदर वायु प्रदूषण से पीड़ित हुए हैं.