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सबसे खराब स्थिति में पहुंची दिल्ली की हवा, प्रदूषण ने तोड़े इस साल के सारे रिकॉर्ड, AQI 400 पार

दिल्ली के प्रदूषण ने इस साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. पराली जलाने के मामलों में वृद्धि और हवा की गति कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को प्रदूषण पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया.

DELHI AIR POLLUTION DELHI AIR POLLUTION
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:12 PM IST

दिल्ली की हवा पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर दर्द की गई है. इससे बच्चे, बुजुर्ग और कोविड व सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों के लिए भी संकट कई गुणा बढ़ गया है. शुक्रवार की सुबह दिल्ली में हवा गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार दर्ज किया गया जो कि 'गंभीर' श्रेणी माना जाता है. शुक्रवार की सुबह दिल्ली के आनंद विहार में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का लेवल 442, आरके पुरम में 407, द्वारका में 421 और बवाना में 430 रहा.
 
वहीं, गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण ने इस साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. पराली जलाने के मामलों में वृद्धि और हवा की गति कम होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को प्रदूषण पिछले एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गया. पराली जलने की हिस्सेदारी प्रदूषण में 42 फीसदी तक पहुंच गई, जो इस मौसम में अब तक का सर्वाधिक है. 

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विशेषज्ञों ने कहा है कि पराली जलाए जाने की घटना में तेज वृद्धि के साथ ही हवा की गति और तापमान में गिरावट होने से गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता लगभग एक साल के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई. बुधवार रात भी वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा और गुरुवार को भी यह सिलसिला जारी रहा.

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गुरुवार को औसत वायु गुणवत्ता 450 दर्ज की गई, जो कि पिछले साल 30 दिसंबर के 446 से अब तक का सबसे ज्यादा है. दिल्ली में सभी 36 निगरानी केन्द्रों ने वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’ श्रेणी में ही रखा. पड़ोसी शहरों फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव और नोएडा में भी प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ ही दर्ज किया गया. बता दें कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है. 

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संसदीय कमेटी की बैठक

इस बीच संसदीय स्थायी समिति (शहरी विकास) दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदम और स्थायी समाधान खोजने को लेकर आज बैठक करेगी. इसमें दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब, पर्यावरण, वन और सीपीसीबी के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहेंगे.

केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने कहा कि भारत सरकार द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु गठित आयोग की अध्यक्षता श्री एम.एम.कुट्टी करेंगे. यह आयोग सभी राज्यों को साथ लेकर, दिल्ली-एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों में होने वाले प्रदूषण को समाप्त करने हेतु कार्य करेगा.

पीएम 10 का लेवल 563 तक पहुंचा

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 का स्तर गुरुवार को 563 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा, जो कि पिछले साल 15 नवम्बर के बाद से सर्वाधिक है, जब यह 637 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था. 

आपको बता दें कि 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पीएम 2.5 को सुरक्षित माना जाता है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के हवा गुणवत्ता निगरानी केंद्र सफर ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाओं में वृद्धि हुई और यह संख्या बुधवार को 4,135 थी, जो कि इस मौसम में सबसे ज्यादा है. 

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विशेषज्ञों ने बताया कि हवा की गति कम रहने, तापमान में गिरावट जैसी मौसम की प्रतिकूल स्थिति और पड़ोसी राज्यों से पराली जलने का धुआं आने से बुधवार रात वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहा. दिल्ली-एनसीआर में कई लोगों द्वारा करवाचौथ त्यौहार पर पटाखे फोड़े जाने को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सर गंगा राम अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि प्रदूषित हवा में सांस के रूप में 22 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का शरीर में जाना एक सिगरेट पीने के बराबर है. 

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