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15 हजार पौधे, पारंपरिक स्ट्रक्चर और सोलर एनर्जी का साथ... प्रदूषित हवा के बीच दिल्ली के इस घर का AQI सिर्फ 15 कैसे है?

इस घर का निर्माण पारंपरिक तरीकों से किया गया है. इसमें सीमेंट की जगह चूने का प्रयोग किया गया है और दीवारों पर आधुनिक पेंट की जगह चूना लगाया गया है. छत पर कंक्रीट स्लैब की बजाय पत्थर की टाइल्स लगाई गई हैं, जो गर्मियों में घर को ठंडा बनाए रखती हैं. इतनी बड़ी संख्या में पौधों की मौजूदगी घर की हवा को स्वच्छ बनाती है.

सैनिक फॉर्म्स स्थित इस घर का AQI सिर्फ 15 है सैनिक फॉर्म्स स्थित इस घर का AQI सिर्फ 15 है
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

राजधानी दिल्ली में जहां एक तरफ सिर्फ और सिर्फ प्रदूषण है और हवा सांस लेने लायक नहीं रह गई है,  ऐसे में ये पता चलना कि शहर के बीचों बीच एक जगह ऐसी भी है जहां इस 'आपदा' का नामोनिशान भी नहीं है, अपने आप में एक सुखद आश्चर्य है. इस वक्त जहां AQI का 300 के पार होकर खतरनाक स्थिति में है, वहीं वहीं साउथ दिल्ली के सैनिक फार्म्स में स्थित एक घर अपनी पर्यावरणीय स्थिरता (environmental sustainability) से चौंका रहा है. 

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आप यकीन नहीं करेंगे कि पीटर सिंह और नीनो कौर के इस घर का AQI लेवल हमेशा 10-15 बना रहता है. वह भी कैसे? ये एक दिलचस्प सवाल है, जिसका जवाब भी बेहद दिलचस्प है. इस फैमिली ने घर में 15,000 से अधिक पौधे लगाए हैं और उनकी बागवानी बहुत उन्नत तरीके से की गई है. पर्यावरण के साथ तकनीक का यही तालमेल घर को एअर क्वालिटी इंडेक्स को इतने बेहतरीन स्तर पर बनाए हुए है.

पारंपरिक तरीकों से बना है खास घर
इस घर का निर्माण पारंपरिक तरीकों से किया गया है. इसमें सीमेंट की जगह चूने का प्रयोग किया गया है और दीवारों पर आधुनिक पेंट की जगह चूना लगाया गया है. छत पर कंक्रीट स्लैब की बजाय पत्थर की टाइल्स लगाई गई हैं, जो गर्मियों में घर को ठंडा बनाए रखती हैं. इतनी बड़ी संख्या में पौधों की मौजूदगी घर की हवा को स्वच्छ बनाती है. घर पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलता है और बाहरी बिजली पर निर्भर नहीं है.

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जल संरक्षण का भी मिसाल
यह घर जल संरक्षण का भी मिसाल है. बारिश का पानी 15,000 लीटर की टंकी में जमा किया जाता है और पौधों की सिंचाई में इस्तेमाल होता है. पानी लगातार रिसाइकिल किया जाता है, जिससे एक भी बूंद बर्बाद नहीं होती. सबसे खास बात यह है कि इस घर में खुद के लिए सब्जियां उगाई जाती हैं. बाजार से सब्जियां खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. पीटर और नीनो ऑर्गेनिक तरीके से पूरे साल सब्जियां उगाते हैं.

पर्यावरणीय समस्या का अनोखा हल
दिल्ली के प्रदूषण में पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का भी योगदान होता है, लेकिन यह परिवार पराली को जैविक खाद में मिलाकर मशरूम उगाने में उपयोग करता है. इस अनोखे घर की कहानी व्यक्तिगत संघर्ष से जुड़ी है. नीनो को ब्लड कैंसर होने के बाद उनकी फेफड़ों की क्षमता कमजोर हो गई थी. डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली छोड़ने की सलाह दी थी, लेकिन एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ ने उन्हें पूरी तरह ऑर्गेनिक जीवनशैली अपनाने की सलाह दी.

गोवा में कुछ समय बिताने के बाद, जहां उनके बेटे ने उनके लिए एक घर खरीदा था, यह कपल दिल्ली लौट आया और अपने घर को एक स्वस्थ और आत्मनिर्भर आशियाने में बदल दिया. आज यह घर प्रदूषित शहर के बीच पर्यावरणीय स्थिरता और हरित जीवन का प्रतीक बन चुका है. यह दिखाता है कि पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक सोच के मेल से एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना संभव है.

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