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दिल्ली: मैथिली भाषा पर गरमाई राजनीति, कांग्रेस-बीजेपी ने बताया राजनीतिक स्टंट

विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि मैथिली भाषा को आठवीं कक्षा से बारहवीं तक उर्दू और पंजाबी की तर्ज पर पढ़ाया जाएगा. हालांकि अब भाषा के इस मुद्दे पर दिल्ली में राजनीति होनी शुरू हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को घेर रही हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
aajtak.in/मणिदीप शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 5:16 AM IST

विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि मैथिली भाषा को आठवीं कक्षा से बारहवीं तक उर्दू और पंजाबी की तर्ज पर पढ़ाया जाएगा. हालांकि अब भाषा के इस मुद्दे पर दिल्ली में राजनीति होनी शुरू हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को घेर रही हैं.

चुनाव की आहट आते ही दिल्ली में बसी हुई बड़ी पूर्वांचल आबादी को रिझाने के लिए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने मैथिली को स्कूलों में आठवीं से बारहवीं तक पढ़ाने का निर्णय लिया है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही इस मुद्दे में राजनीति तलाश कर केजरीवाल सरकार का स्टंट मान रही है. कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा दावा करते हैं कि मैथिली भोजपुरी अकादमी कांग्रेस ने बनवाई तो ऐसे में केजरीवाल सरकार के इस काम का क्रेडिट कांग्रेस को जाता है. साथ ही महाबल मिश्रा ने केजरीवाल सरकार पर सवाल भी उठाया और कहा, 'मैथिली भाषा के शिक्षक कहां से आएंगे? तो क्यों न इस ऐलान को केजरीवाल सरकार का राजनीतिक स्टंट माना जाए.'

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वहीं दूसरी तरफ बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले इन्होंने ऐलान इसलिए किया है क्योंकि पिछले साढे 4 साल में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल कुछ नहीं कर पाए. अब अपनी गलतियों को ढकने के लिए पूर्वांचल समाज को ठगा जा रहा है. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि सत्ता में आते ही बीजेपी यह काम कर देती तो उससे पहले केजरीवाल ने इसे कर दिया.

बता दें कि दिल्ली में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि दिल्ली में बसी हुई 40 फीसदी पूर्वांचल आबादी को हर राजनीतिक पार्टी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपने पाले में लाना चाहती है. ऐसे में इस बड़ी आबादी के वोट को अपनी झोली में डालने के लिए राजनीति शुरू हो गई है.

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