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दिल्ली में सड़कों के नाम मुगल शासकों के नाम पर क्यों रखे? जानें कैसे होता है नामकरण

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मुगल शासकों के नाम पर रखे गए सड़कों के नाम बदलने की मांग की है. उन्होंने 6 ऐसी सड़कों के नाम बदलने का सुझाव दिया है, जो मुगल शासकों के नाम पर है. उन्होंने इन सड़कों का नाम भारतीय महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखने की मांग की है.

दिल्ली में सड़कों के नाम को लेकर फिर सियासत शुरू हो गई है. (फाइल फोटो-PTI) दिल्ली में सड़कों के नाम को लेकर फिर सियासत शुरू हो गई है. (फाइल फोटो-PTI)
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST
  • सड़कों के नाम को लेकर दिल्ली में फिर सियासत
  • दिल्ली बीजेपी ने सड़कों के नाम बदलने की मांग की
  • मुगलों के नाम पर सड़कों के नाम को बदलने की मांग

दिल्ली में सड़कों के नाम बदलने पर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मुगल शासकों के नाम पर रखे गए सड़कों के नाम को बदलने की मांग की है. उन्होंने ऐसी पांच सड़कों के नाम दिए हैं, जो मुगल शासकों के नाम पर रखी गईं हैं. आदेश गुप्ता ने सड़कों के नाम बदलने के लिए नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को चिट्ठी लिखी है. 

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आदेश गुप्ता ने तुगलक रोड का नाम गुरु गोविंद सिंह मार्ग, अकबर रोड का महाराणा प्रताप रोड, औरंगजेब रोड को अब्दुल कलाम लेन, हुमायूं रोड को महर्षि वाल्मीकि रोड, शाहजहां रोड को जनरल बिपिन सिंह रावत रोड और बाबर लेन का खुदीराम बोस लेन रखने का सुझाव दिया है. 

ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली में सड़कों के नाम को बदलने की मांग उठी है. इससे पहले भी बीजेपी कई बार मुगल शासकों के नाम पर रखी गई सड़कों के नाम को बदलने का मुद्दा उठाती रही है. पिछले साल हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल बिपिन रावत की मौत के बाद मांग उठी थी कि अकबर रोड का नाम बदलकर उनके नाम पर रख दिया जाए.

अब आदेश गुप्ता ने ऐसे समय में 5 सड़कों का नाम बदलने की मांग की है, जब एक दिन पहले ही दिल्ली बीजेपी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से 40 गांवों के नाम बदलने की मांग की थी. दिल्ली बीजेपी ने केजरीवाल से हुमायुंपुर, युसुफ सरई, बेगमपुर, सैदुल अजब, हौज खास समेत 40 गांवों के नामों को बदलने की मांग की थी.

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सवाल ये कि मुगलों के नाम पर सड़कों के नाम पर क्यों?

इसे समझने के लिए दिल्ली का इतिहास समझना होगा. दिल्ली का नाम पहले इंद्रप्रस्थ था. इसे करीब साढ़े 3 हजार साल पहले पांडवों ने बसाया था. ऐसी मान्यता है कि पांडव जब यहां रह रहे थे, तब युधिष्ठिर के खाने में एक मक्खी आ गई थी. इसके बाद पांडवों ने इसे अपशकुन मानकर छोड़ दिया था. 

मौर्य राजा दिलु या ढिलु के नाम पर इस शहर का नाम 'दिल्ली' पड़ा. दिल्ली लगभग 750 सालों तक गुमनामी का शिकार रहा. सन् 1175 से 1192 तक दिल्ली पर पृथ्वीराज चौहान ने राज किया. पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के आखिरी हिंदू राजा थे. पृथ्वीराज की मौत के बाद दिल्ली पर मुस्लिम शासकों का शासन शुरू हो गया. मोहम्मद गौरी दिल्ली का पहला मुगल शासक बना.

1325 ईस्वी में मोहम्मद बिन तुगलक दिल्ली की गद्दी पर बैठ गया. उसने दो बार अपनी राजधानी को दिल्ली से 800 मील दूर दौलताबाद शहर में स्थानांतरिक करने की कोशिश की. तुगलक वंश के बाद तैमूर सत्ता में आया. हालांकि, इसे लेकर कुछ भ्रम भी है. 

1553 ईस्वी में बाबर के बेटे हुमायूं ने इंद्रप्रस्थ में दीन पनाम नाम से अपनी राजधानी बनाई. लेकिन, हुमायुं की मौत के बाद अकबर और उसके बेटे जहांगीर दिल्ली की बजाय आगरा में रहे. इस दौरान दिल्ली उपेक्षा का शिकार होती रही. 

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1628 में शाहजहां दिल्ली की गद्दी पर बैठे. शाहजहां ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित किया. उन्होंने लाल किला और जामा मस्जिद का निर्माण भी करवाया. बाद में शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने यहां राज किया, लेकिन उसके शासनकाल में मुगलों का पतन शुरू हो गया. 

माना जा सकता है कि दिल्ली की गद्दी पर मुगल शासकों के कब्जे के कारण ही यहां की कई प्रमुख सड़कों के नाम इनके नाम पर रखे गए हैं. 

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इन 5 सड़कों के नाम बदलने की बात क्यों?

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इन 5 सड़कों के नाम बदलने का सुझाव दिया है. उनका कहना है कि मुगल शासकों पर सड़कों के नाम गुलामी का प्रतीक है और इसे बदला जाना चाहिए. उन्होंने पत्र में लिखा कि तुगलक रोड गुलामी का प्रतीक है, इसलिए उसका नाम गुरु गोविंद सिंह मार्ग किया जाना चाहिए.

वहीं, अकबर रोड का नाम महाराणा प्रताप के नाम पर होना चाहिए, क्योंकि वो हिंदुओं का गौरव, मराठाओं की आन-बान-शान थे और उन्होंने मुगलों का डंटकर सामना किया था. इसके साथ ही औरंगजेब लेन का नाम बदलकर पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर होना चाहिए. 

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इसके अलावा बाबर लेन का नाम बदलकर मात्र 18 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ने वाले क्रांतिकारी शहीद खुदीराम बोस के नाम पर रखना चाहिए. इसी तरह हुमायुं रोड का नाम रामायण के रचयिता रहे महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा जाए. गुप्ता ने कहा कि शाहजहां रोड का नाम भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और पूर्व आर्मी प्रमुख जनरल बिपिन सिंह रावत के नाम पर रखा जाना चाहिए.

क्या चिट्ठी भर से नाम बदल जाएगा?

आदेश गुप्ता ने चिट्ठी लिख दी तो क्या सड़कों का नाम बदल दिया जाएगा? तो इसका जवाब है नहीं. दिल्ली में किसी सड़क या जगह का नाम रखने के संबंध में एक प्रस्ताव नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (NDMC) को भेजा जाता है. ये प्रस्ताव विदेश मंत्रालय, एनजीओ या स्थानीय लोगों की ओर से दिया जा सकता है. 

प्रस्ताव मिलने के बाद इसे एनडीएमसी के जनरल विभाग के पास भेजा जाता है. इसके बाद एनडीएमसी की एक 13 सदस्यों की कमेटी इस प्रस्ताव पर विचार करती है. ये कमेटी नाम बदलने या नाम रखने का काम ही देखती है. आखिर में जब किसी प्रस्ताव को मंजूर कर लिया जाता है तो उसकी जानकारी एनडीएमसी के पोस्ट मास्टर जनरल को दी जाती है.

किसी सड़क या जगह का नाम बदलने को लेकर गृह मंत्रालय की एक गाइडलाइन है. इसका पालन करना जरूरी होता है. मसलन, किसी सड़क या जगह का नया नाम रखने के लिए स्थानीय लोगों की भावनाओं का ध्यान रखना होता है. इसके अलावा किसी सड़क या जगह का नया नाम रखने पर कोई भ्रम न हो, इसका ध्यान भी रखा जाता है. 

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