
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) की सियासत इन दिनों चर्चा की वजह बनी हुई है. अगर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगता है, तो आम आदमी पार्टी (AAP) की वो बात सच लगेगी जिसमें वो आरोप लगाती है कि चोर दरवाजे से बीजेपी सरकार गिराने की साजिश रह रही है. शायद तभी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर जेल में होकर भी अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी दिल्ली में पॉलिसी पैरालिसिस का आरोप लगाकर राष्ट्रपति शासन की गुहार लगा दी. अब गेंद एमएचए के पाले में है. दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पर सियासी दबाव कायम कर दिया है.
नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने AAP से पूछे ये सवाल
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने राष्ट्रपति को 30 अगस्त को दिए गए ज्ञापन में उठाये गए मुद्दों पर केजरीवाल सरकार से जवाब मांगा है. उन्होंने कहा कि हमने ज्ञापन में छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन न होने, दिल्ली की पंगु हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था, CAG की 11 रिपोर्ट्स को सदन में न रखने और केंद्र सरकार की योजनाओं को जानबूझकर दिल्ली में लागू न करने के मुद्दों को उठाया था, जिनका जवाब केजरीवाल सरकार को देना है.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन न कर संविधान का उल्लंघन किया है, जिसके चलते दिल्ली नगर निगम की वित्तीय स्थिति अव्यवस्थित हो चुकी है. AAP सरकार ने पिछले 5 महीने सें विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया है. जबकि नियमानुसार पिछले सत्र के बाद 6 महीने के अंदर सत्र बुलाना अनिवार्य है लेकिन इससे से पहले सत्र बुलाया गया तो उसमें प्रश्न काल नहीं रखा गया.
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'नियमों का उल्लंघन कर रही दिल्ली सरकार'
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है. यहां की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है. दिल्ली के 2 करोड़ लोगों की समस्याओं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है, अराजकता का माहौल है. मानसून की बारिश के दौरान राजधानी में 50 लोगों की मौत हो गई. जगह-जगह जल भराव हो रहा है, जिसकी वजह से भयंकर ट्रैफिक जाम हो रहा है और लोगों की मौत हो रही है. सड़कें टूटी हुई हैं, जिस कारण आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं और लोगों की मौतें हो रही हैं.
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि उनके नेतृत्व में दिल्ली बीजेपी विधायकों ने दिल्ली सरकार द्वारा संवैधानिक नियमों का लगातार उल्लंघन किए जाने के कारण दिल्ली में उत्पन्न संवैधानिक संकट को लेकर 30 अगस्त 2024 को माननीय राष्ट्रपति से भेंट की थी और उन्हें ज्ञापन देकर दिल्ली सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी. हमें खुशी है कि राष्ट्रपति महोदया ने उस ज्ञापन पर संज्ञान लेते हुए गृह सचिव, गृह मंत्रालय को इस पर संज्ञान लेने के लिए कहा है.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि शराब घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री केजरीवाल जेल में हैं और वह जेल से ही सरकार चलाने पर अड़े हुए हैं. पिछले 5 महीने से कोई फाइल साइन नहीं हुई है और न ही कैबिनेट की कोई मीटिंग हुई है. यह सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है. दिल्ली के अस्पतालों के निर्माण में हजारों करोड़ रुपये का भारी भ्रष्टाचार हुआ है. दिल्ली जल बोर्ड 73 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा हुआ है.
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली स्किल एंटरप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी (DSEU) में एक हजार करोड़ रुपये का भारी भ्रष्टाचार हुआ है. साढ़े तीन लाख रुपये के वेतन पर अपने चहेतों की राजनीतिक नियुक्तियां कर दी गईं. तीन-तीन नए विश्वविद्यालय खोलकर हजारों करोड़ रुपये इधर से उधर कर दिये गए और अब इन विश्वविद्यालयों में छात्रों की संख्या घटने की वजह से इसके परिसरों में कई कोर्सेज बंद कर दिए गए. दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों को दिल्ली सरकार फंड ही नहीं दे रही है, जिसकी वजह से वहां के टीचर्स को सैलरी नहीं मिल पा रही है.
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'AAP ने नहीं लागू की केंद्र की योजनाएं'
विजेंद्र गुप्ता कहा, "दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी के पास लंबे वक्त से CAG की 11 रिपोर्ट्स रखी हुई हैं, जिन्हें सदन पटल पर रख जाना जरूरी है. ऐसा न करके सरकार द्वारा संवैधानिक नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है."
गुप्ता ने आगे कहा कि दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की 'प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना' को जान बूझ कर दिल्ली में लागू नहीं किया, जिसकी वजह से 5 लाख तक के फ्री इलाज की सुविधा दिल्ली के 2 करोड़ को नहीं मिल पाई. इसके अलावा केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 'PM-ABHIM' योजना के अंतर्गत 2406 करोड़ रुपये दिए. इस फंड से आधुनिक लैब्स और ICU बनाई जानी थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने इस योजना को लागू ही नहीं किया. इसी तरह केंद्र सरकार के फ्री सॉफ्टवेयर हॉस्पिटल इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (HIMS) को लागू न करके अपना ही सॉफ्टवेयर बनाने के लिए एक निजी कंपनी को 250 करोड़ रुपये का ठेका दे दिया.
गुप्ता ने कहा कि यह सरकार बार-बार संवैधानिक नियमों का उल्लंघन करती आ रही है, जिसने सभी मर्यादाओं को तार-तार कर दिया है. इन सभी संवैधानिक नियमों के उल्लंघन की वजह से AAP सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं बचा है. इसलिए राष्ट्रपति से हमने गुजारिश की है कि वह इस सरकार को तुरंत बर्खास्त करें.
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10 साल पहले दिल्ली में लगा था राष्ट्रपति शासन
आम आदमी पार्टी के मंत्री सौरभ भारद्वाज और मंत्री आतिशी ने बीजेपी पर चोर दरवाजे से सरकार गिराने का आरोप लगाया है. 10 साल पहले दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा था, जिस वक्त आम आदमी पार्टी ने पूरे देश में इतिहास रच दिया था. दिल्ली में पहली बार राष्ट्रपति शासन 16 फरवरी 2014 को लगा था, तब केजरीवाल ने सरकार बनने के 49 दिन बाद इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस के समर्थन से उस वक्त सरकार बनाई थी. 13 फरवरी 2015 तक 363 दिन राष्ट्रपति शासन लगने के बाद केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को फिर से सरकार बनाई थी. पूर्ण बहुमत से आम आदमी पार्टी ने चुनाव जीता और 70 में से 67 सीटें हासिल की थीं, जो कि देश भर की विधानसभाओं में एक इतिहास है.